अश्वगंधा की खेती में रंग लाई महेंद्र की मेहनत

September 11 2021

जैविक खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में ग्राम छोटी कसरावद जिला खरगोन के कृषक श्री महेंद्र सिंह मंडलोई विगत तीन वर्षों से जैविक खेती कर रहे हैं। रसायनिक का प्रयोग पूर्णत: बंद कर ज़ीरो बजट खेती करते हैं। पहली बार आधा एकड़ में अश्वगंधा लगाई। उनकी मेहनत रंग लाई और 35 हजार का शुद्ध मुनाफा हुआ। अब अश्वगंधा का रकबा बढ़ाएंगे।

श्री महेंद्र सिंह मंडलोई ने कृषक जगत को बताया कि उनकी 8 बीघा ज़मीन है, जिसमें से 6 बीघा में तीन साल से पूर्णत: जैविक खेती करते है, जिसमें जैविक कपास, गेहूं, चना, मूंग आदि की फसल लेते हैं। रसायनिक दवाइयों या खाद की जगह छाछ, निम्बोली का अर्क, गौमूत्र और वेस्ट डीकम्पोजर का प्रयोग करते हैं।

इन्होंने पहली बार आधा एकड़ में अश्वगंधा लगाई थी, जिसमें गोबर खाद, केंचुआ खाद, गौ मूत्र आदि का इस्तेमाल किया। इस फसल में 5 किलो बीज के अलावा केंचुआ खाद, निंदाई, कटाई आदि कार्यों में 14 हजार रुपए की लागत आई। नीमच मंडी में उपज बेचने पर सवा क्विंटल जड़ के 31 हजार और 4 क्विंटल पंचांग (भूसे) के करीब 6 हजार प्राप्त हुए जबकि अश्वगंधा का 150 किलो बीज बेचना अभी बाकी है। शुद्ध मुनाफा 35 हजार का हुआ। श्री मंडलोई ने कहा कि अश्वगंधा की खेती में मिले मुनाफे से उत्साहित होकर अब अश्वगंधा का रकबा बढ़ाकर ढाई एकड़ कर देंगे। इसके अलावा इनका तुलसी लगाने का भी विचार है।

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स्रोत: Krishak Jagat