बागवान संघ का सरकार को सुझाव, सी ग्रेड सेब बाजार में नहीं जाए तो सुधरेंगे रेट

September 02 2021

‘सी ग्रेड’ सेब अगर मार्केट में जाना बंद हो जाए तो ‘ए और बी’ ग्रेड सेब के रेट सुधर सकते हैं। प्रोग्रेसिव एप्पल ग्रोवर एसोसिएशन ने सरकार को सुझाव दिया है कि सी ग्रेड सेब को मार्केट में जाने से रोकने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। जब मार्केट में ‘ए और बी’ ग्रेड सेब ही पहुंचेगा तो रेट में सुधार आएगा। अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि मौजूदा समय में सी ग्रेड सेब भी मार्केट में पहुंच रहा है। इस कारण अच्छे सेब को भी बढ़िया रेट नहीं मिल पा रहे।मंडी मध्यस्थता योजना में सरकार 9.50 पैसे प्रतिकिलो की दर से सेब खरीद रही है। निम्न गुणवत्ता वाले इस सेब को परवाणू में बोली के बाद डेढ़ से ढाई रुपये प्रतिकिलो के दाम पर बेचा जाता है।

जिसके बाद यह सेब दोबारा मार्केट में पहुंच जाता है। जिसके कारण अच्छे सेब की मार्केट भी गिर रही है। यदि इस सेब को बागवानों से खरीदने के बाद नष्ट कर दिया जाए और सी ग्रेड के सेब को बोरी के स्थान पर पेटी में पैक कर जूस और जैम बनाने के लिए प्रोसेसिंग प्लांट तक पहुंचाया जाए तो फायदेमंद रहेगा। मौजूदा समय में बागवान सी ग्रेड सेब को पेटियों में पैक कर मंडियों में भेज रहे हैं। गुणवत्ता सही न होने के कारण मंडियो में ऐसे सेब को सही दाम नहीं मिल रहे साथ ही अच्छे सेब के रेट भी प्रभावित हो रहे हैं। अगर यह व्यवस्था लागू होती है तो सरकार का सी ग्रेड सेब स्टोर करने और ऑक्शन का खर्चा भी बचेगा।

एमआईएस के जरिये सेब खरीद में केंद्र करे सहयोग 

वहीं, असंगठित कामगार कांग्रेस राज्य अध्यक्ष और नगर निगम शिमला के पूर्व पार्षद सुरेंद्र चौहान ने कश्मीर की तर्ज पर एमआईएस के जरिये नेफेड, एचपीएमसी और हिमफैड के माध्यम से सेब खरीद की मांग उठाई है। मौजूदा समय में 9.50 रुपये प्रतिकिलो प्रदेश सरकार खरीद कर रही है। 20 रुपये प्रतिकिलो केंद्र सरकार वहन करे। 30 रुपये प्रतिकिलो सी-ग्रेड का सेब खरीदा जाए। ऐसा होने से कॉरपोरेट कंपनियों की मनमानी पर रोक लगेगी ओर वन नेशन वन लॉ का सिद्धांत भी लागू होगा। सुरेंद्र चौहान ने प्रदेश सरकार से सब्जी और सेब उत्पादकों की ओर से अपनी उपज मंडियों तक पहुंचाने, बाजार से खरीद कर खाद बागीचों तक पहुंचाने के लिए इस्तेमाल की जा रही डबल कैबिन कैंपर यूटीलिटी वाहनों को एग्रीकल्चर व्हीकल या प्राइवेट व्हीकल की श्रेणी में लाने की मांग उठाई है।

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स्रोत: Amar Ujala