By: Krishi Jagran, 3 August 2017
मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के पहले क्वॉर्टर में खराब प्रदर्शन करने वाली एग्रीकल्चरल इनपुट कंपनियों को कॉटन का रकबा बढ़ने से अब बिजनेस बेहतर होने की उम्मीद है। इन कंपनियों को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू होने और कुछ अन्य कारणों के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
कॉटन के रकबे में 20 पर्सेंट की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इससे मुख्यतौर पर एग्रो केमिकल और हाइब्रिड सीड से जुड़ी फर्मों को फायदा होगा। इन फर्मों की बिक्री कम से कम 20 पर्सेंट बढ़ सकती है। पिछले वर्ष कॉटन का बुआई क्षेत्र कम रहने के कारण इनकी बिक्री पर असर पड़ा था। 21 जून तक कॉटन का रकबा 104.29 लाख हेक्टेयर का था। पिछले वर्ष इसी अवधि में 86.86 लाख हेक्टेयर पर कॉटन की बुआई की गई थी। गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान और हरियाणा जैसे कॉटन के बड़े उत्पादन वाले राज्यों में मॉनसून अच्छा रहने और फसल के बेहतर दाम मिलने से कॉटन का बुआई क्षेत्र बढ़ा है।रेटिंग एजेंसी ICRA के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, के रविचंद्रन ने बताया कि देश में एग्री केमिकल्स की कुल खपत में कॉटन की हिस्सेदारी लगभग 50 पर्सेंट की है। इसके बाद धान 15 पर्सेंट और अन्य फसलें आती हैं। उन्होंने कहा, 'कॉटन का रकबा बढ़ने का प्रमुख कारण पिछले वर्ष अधिक उत्पादन के चलते दालों के दाम में गिरावट हो सकता है जिससे बहुत से किसान कॉटन की खेती की ओर मुड़ गए हैं।
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