दिल्ली सेब ले जाने के लिए 50 फीसदी घटी ट्रकों की मांग

September 03 2021

सेब खरीद संकट के चलते जहां बागवानों को नुकसान उठाना पड़ा है, वहीं इससे ट्रांसपोर्टरों पर भी मार पड़ी है। दिल्ली की आजादपुर मंडी के लिए ट्रकों की मांग 50 फीसदी कम हो गई है। सीजन में प्रतिदिन आजादपुर सब्जी मंडी दिल्ली जाने वाले ट्रकों की संख्या 40 से अधिक रहती थी। यह अब 20 तक रह गई है। बागवानों ने स्थानीय मंडियों में ही अधिक सेब भेजा। सेब दिल्ली भेजने के लिए बागवानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है।

पहले तुड़ान के बाद ग्रेडिंग होती है। फिर लकड़ी की पेटी में इसे पैक करना पड़ता है। इसके लिए पैकर, कीलें, खाली पेटी, रद्दी और सूखी घास की आवश्यकता रहती है। पैकिंग के बाद दिल्ली तक किराया भी प्रति पेटी चुकाना पड़ता है। इस झंझट से बचने के लिए अधिकतर बागवानों ने सेब स्थानीय मंडियों में बेचा। जब ट्रक यूनियन के पास मांग आती है तो ट्रक भेजे जाते हैं। इसके लिए बाकायदा यूनियन ने स्थानीय एजेंट भी सीजन के लिए रखे हैं। 

गौर रहे कि खराहल घाटी में 70 फीसदी सेब मंडियों में ही बिका है। हालांकि, अब ऊझी घाटी के कई क्षेत्रों से दिल्ली के लिए काफी मांग आ रही है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि दिल्ली जाने वाले ट्रकों की संख्या 2000 से 2500 के बीच रहेगी। कुल्लू जिले में बंपर फसल होने पर करीब पांच हजार ट्रक दिल्ली जाते हैं। 2020 में यह संख्या चार हजार ट्रकों से अधिक थी। बागवान गोपाल ठाकुर, नरेश कुमार, दीप लाल भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के आढ़ती बागवानों को कई बार परेशान करते हैं। 

दिल्ली में क्या रेट में सेब बिका इसकी जानकारी नहीं मिलती। इसलिए भी बागवान दिल्ली के बजाय क्रेट में सेब भरकर स्थानीय मंडियों में बेचना उचित समझ रहे हैं। ट्रक यूनियन कुल्लू के उपाध्यक्ष विशाल सूद ने कहा कि शुरुआती दौर में सेब बहुत कम दिल्ली भेजा गया। ट्रकों में दिल्ली जाने वाले सेब में इस बार 50 फीसदी की कमी आई है।  

छोटे बागवानों ने किया दिल्ली से किनारा 

छोटे बागवानों ने इस बार अपना सेब स्थानीय मंडी में बेचा। इससे पहले अधिकतर बागवान दिल्ली की मंडी में ही सेब प्राथमिकता के आधार पर बेचते थे। अब घर-द्वार बेहतर दाम मिलने से बागवान दिल्ली के झंझट से बच रहे हैं। बड़े बागवान सेब दिल्ली ही भेज रहे हैं। एक ट्रक सेब की 500 पेटियां आती हैं।

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स्रोत: Amar Ujala