जिले में इस वर्ष औसत वर्षा से 40 प्रतिशत कम वर्षा रिकार्ड किया गया है। वर्षा की कमी के चलते कृषि कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। पहले जहां बोआई में देरी हुई, वहीं अब बारिश नहीं होने से खेतों में बयासी नहीं हो पा रही है। किसानों को मौसम की मार झेलनी पड़ रही है।
इस वर्ष जिले में एक जून से अब तक 497 मिमी वर्षा हुई है। वहीं, पिछले दस वर्षों में 1 जून से 5 अगस्त हुई वर्षा का औसत 834.6 मिमी रहा है। पिछले दस वर्षों की औषत वर्षा की तुलना में इस वर्ष 40 प्रतिशत वर्षा कम हुई है।
बारिश पर लगे ब्रेक का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। बारिश थम जाने के कारण कृषि कार्य फिर से धीमा पड़ गया है। मालगांव के कृषक जगदीश सोनी ने बताया कि सावन के शुरूआती दिनों में हुई बारिश के बाद किसानों ने खेतों में धान के पौधों की रोपाई कर दी थी। लेकिन बारिश बंद होने से बयासी का कार्य नहीं हो पाया है। बियासी के लिए खेतों पर्याप्त पानी नहीं है। बारिश नहीं होने से पौधों की बाढ़ भी रूक गई है और दीपक का प्रकोप बढ़ गया है। वहीं कई किसान ऐसे हैं, जो अभी अपने खेतों धान की रोपाई कर रहे हैं, धान के इन पौधों को पार्याप्त मात्रा में पानी चाहिए।
अब तक नहीं भरे जलस्रोत
जिले में बारिश कम होने का असर नदी-तालाबों व बांधों पर भी देखने को मिल रहा है। इस वर्ष बारिश नहीं होने के कारण अब तक एक बार भी नदी-नालों में उफान नहीं आया है। शहर के मध्य से प्रवाहित होने वाली दूध नदी में भी प्रवाहित जल का स्तर बहुत कम है।
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स्रोत: Nai Dunia