भारत में गेहूं की खेती रबी सीजन में होती है. वहीं, गेहूं की फसल किसानों के साथ-साथ सभी लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। ऐसे में किसानों की आमदानी को बढ़ाने के लिए भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की तीन नई किस्में विकसित की है। जो किसानों की आय को बढाने में काफी सहायक होंगी एवं इस किस्म की फसल सेहत के लिए भी लाभदायी होगी।
गेहूं की नयी किस्में
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा गेहूं की तीन नई किस्में डीबीडब्ल्यू-296, डीबीडब्ल्यू-327 और डीबीडब्ल्यू-332 विकसित की गई हैं। वहीं, गेहूं की इन तीनों किस्मों को उत्पादन और पोषक तत्वों के लिहाज से उत्तम माना गया है, जिनसे किसानों को बहुत अच्छी उपज प्राप्त होगी।
जानें, क्या है नई किस्मों की खासियत
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई गेहूं की तीन नयी किस्मों की खासियत निम्न है।
- गेहूं की इस किस्म में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।
- गेहूं की इन नई किस्मों में किसी भी प्रकार के पेस्टीसाइड का छिड़काव करने की जरुरत नहीं है।
- गेहूं की नई नई किस्मों का औसत उत्पादन 78.3 क्विंटल से लेकर 83 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आंका गया है।
- जबकि पोषक तत्वों से भरपूर इस किस्म में आयरन की मात्रा 39.4 पीपीएम और जिंक की मात्रा 40.6 पीपीएम है। यह पीला रतुआ रोधी किस्म मानी गई है।
अधिक पैदावार और रोग प्रतिरोधक
गेहूं की यह नई किस्म काफी उन्नत, अधिक पैदावार देने वाली और रोग प्रतिरोधक है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे किसानों को उन्नत और अधिक उत्पादन देने वाली किस्में मिलती रहे जिससे किसानों को अधिक पैदावार भी मिले और उनकी आय भी दोगुनी हो।
देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिहाज से विकसित की गई ये सारी किस्में अधिक उत्पादन देने वाली हैं। किसान गेहूं की इन नई किस्मों को विकसित कर उनके व्यवसायिक इस्तेमाल से अपनी आय में इजाफा कर सकते है।
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स्रोत: Krishi Jagran