सेब खरीद कर रही कॉरपोरेट कंपनियों ने दामों में बढ़ोतरी की है। 4 से लेकर 6 रुपये प्रतिकिलो तक रेट बढ़ाए गए हैं। यह पहली बार है कि कंपनियां रेट घटाने की जगह बढ़ा रही हैं लेकिन बागवान इन दामों से संतुष्ट नहीं। बागवानों का कहना है कि लागत के मुकाबले अभी भी रेट कम हैं। सेब खरीद कर रही सबसे बड़ी अडानी एग्रो फ्रेश ने 4 रुपये प्रतिकिलो रेट बढ़ाए हैं। 26 अगस्त को कंपनी ने प्रीमियम सेब का रेट 72 रुपये प्रति किलो किया था जो बीते साल के मुकाबले 16 रुपये कम था। पिछले साल कंपनी ने 88 रुपये प्रतिकिलो रेट पर सेब खरीद शुरू की थी। इस साल 10 सितंबर को कंपनी ने 2 रुपये बढ़ाकर 74 रुपये रेट निर्धारित किया।
18 सितंबर को 76 रुपये प्रतिकिलो रेट कर दिया। कंपनी अब इसी रेट पर सेब खरीद रही है। अडानी के ठियोग के सैंज, रोहड़ूू के मैंहदली और रामपुर के बिथल में कलेक्शन सेंटर हैं। देवभूमि कोल्ड चेन मतियाना ने एक सितंबर को 72 रुपये, 10 सितंबर को 75 और 16 सितंबर को 77 रुपये प्रतिकिलो रेट निर्धारित किए। 16 दिन के भीतर कंपनी ने प्रतिकिलो 5 रुपये की बढ़ोतरी की। हिम फ्रैश प्रोड्यूस कंपनी ने 30 अगस्त को 75, 3 सितंबर को 77, 10 सितंबर को 80 और 18 सितंबर को 81 रुपये दाम तय किए हैं। कंपनी अब प्रीमियम सेब सबसे अधिक 81 रुपये प्रतिकिलो रेट पर खरीद रही है। हिमफ्रैश प्रोड्यूस कंपनी के सहायक प्रबंधक संदीप चौहान ने बताया कि 30 अगस्त से 18 सितंबर के बीच कंपनी ने 6 रुपये की बढ़ोतरी की है। मार्केट के आधार पर कीमतें बढ़ाई गई हैं।
सेब के पैसे बागवानों के बैंक खाते में एक हफ्ते के भीतर डाले जा रहे हैं। मंडियों की तरह कोई अतिरिक्त कटौती नहीं होती। अडानी एग्रो फ्रेश के महाप्रबंधक मनजीत शिलू ने कहा कि कंपनी मार्केट की स्थिति के अनुसार रेट तय करती है। अगस्त में मार्केट की स्थिति के हिसाब से रेट खोले थे। अब दो बार रेट बढ़ाए हैं। नवरात्र में कीमतें बढ़ने की उम्मीद है। देवभूमि कोल्ड चेन मतियाना के प्रबंधक नीरज कुमार ने बताया कि कंपनी ने सेब खरीद में प्रतिकिलो पांच रुपये की बढ़ोतरी की है। बागवानों की पेमेंट सुरक्षित रहती है और ग्रेडिंग पैकेजिंग का खर्चा भी नहीं पड़ता।
मंडियों में भी 300 रुपये तक बढ़े रेट
मंडियों में भी सेब के औसत रेट बीते माह के मुकाबले 200 से 300 रुपये प्रति पेटी बढ़े हैं। अगस्त के दूसरे हफ्ते में प्रति पेटी सेब के रेट 800 से 1000 रुपये थे जो अब 1200 से 1300 रुपये हो गए हैं। पिछले साल के मुकाबले यहां भी अभी रेट कम है। बीते साल सितंबर में बढि़या सेब के औसत रेट 1400 से 1500 रुपये थे।
पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी बढ़ी लागत
संयुक्त किसान मंच के सह संयोजक संजय चौहान ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले प्रति पेटी लागत 30 फीसदी तक बढ़ी है। कंपनियां लागत के अनुरूप अभी पैसा नहीं दे रही। हालांकि किसानों-बागवानों के आंदोलन का परिणाम है कि पहली बार कंपनियां रेट गिराने के स्थान पर बढ़ा रही हैं। चिंता की बात यह है कि सरकार अभी भी अपना दायित्व नहीं निभा रही। एमआईएस के तहत ए, बी और सी ग्रेड के 60, 44 और 24 रुपये रेट मिले तो लागत निकल सकती है।
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स्रोत: Amar Ujala