कृषि

जलवायु
-
Temperature
25-35°C -
Rainfall
1200mm -
Sowing Temperature
25-35°C -
Harvesting Temperature
25-30°C
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Harvesting Temperature
25-30°C
मिट्टी
इसे मिट्टी की अलग अलग किस्मों में उगाया जा सकता है। लीची की पैदावार के लिए गहरी परत वाली, उपजाऊ, अच्छे निकास वाली और दरमियानी रचना वाली मिट्टी अनुकूल होती है। मिट्टी की पी एच 5.5 से 7 होनी चाहिए। ज्यादा पी एच और नमक वाली मिट्टी लीची की फसल के लिए अच्छी नहीं होती।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
प्रजनन
बड़े स्तर पर लीची उगाने के लिए एयर लेयरिंग तरीका अपनाया जाता है। बीज बनाना एक आसान तरीका नहीं है इस क्रिया के लिए पौधा लंबा समय लेता है। एयर लेयरिंग के लिए पौधे की टहनियां कीड़े और बीमारियां रहित होनी चाहिए जिनका व्यास 2-3 सैं.मी. और लंबाई 30-60 सैं.मी. हो। चाकू की मदद से टहनियों के ऊपर 4 सैं.मी. चौड़ा गोल आकार का कट लगाएं। उस कट के ऊपर दूसरी टहनी लगा कर लिफाफे से बांध दें। चार सप्ताह के बाद जड़ें बांधनी शुरू हो जाती हैं। जब जड़ें पूरी तरह बन जाएं तो उसे मुख्य पौधे से अलग कर दें। इसके तुरंत बाद पौधे को मिट्टी में लगा दें और पानी देना शुरू कर दें। एयर लेयरिंग मध्य जुलाई से सितंबर महीने में की जाती है।
बिजाई
कटाई और छंटाई
शुरूआती समय में पौधे को अच्छा आकार देने के लिए कटाई करनी जरूरी होती है। लीची के पौधों के लिए छंटाई की ज्यादा जरूरत नहीं होती। फलों की कटाई के बाद नई टहनियां लाने के लिए हल्की छंटाई करें।
नए पौधों की देखभाल
नए पौधों को गर्म और ठंडी हवा से बचाने के लिए लीची के पौधों के आस-पास 4-5 साल के हवा रोधक वृक्ष लगाएं। लीची के आस पास जंतर उगाने से इसे गर्मियों और सर्दियों से बचाया जा सकता है। इसके लिए फरवरी के मध्य में जंतर के बीज उगाएं। लीची के पौधों को तेज हवाओं से बचाने के लिए आस-पास आम और जामुन जैसे लंबे वृ़क्ष लगाएं।
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
Age of crop (Year) |
Well decomposed cow dung (in kg) |
UREA (in gm) |
SSP (in gm) |
MOP (in gm) |
First year | 10 | 150 | 200 | 50 |
Second year | 15 | 300 | 400 | 100 |
Third year | 20 | 500 | 600 | 150 |
Fourth year | 25 | 700 | 750 | 200 |
Fifth year | 30-35 | 900 | 1000 | 250 |
खादों को गाय के गले हुए गोबर के साथ, दो भागों में बांटकर पहले भाग को मॉनसून मौसम के दौरान और दूसरे भाग को मॉनसून के बाद डालें।
सिंचाई
विकास की सभी अवस्थाओं में सिंचाई करें। शुरूआती अवस्था में लगातार सिंचाई की जरूरत होती है। गर्मियों के दौरान नए पौधों को एक सप्ताह में दो बार पानी दें और 4 वर्ष के पौधे के लिए सप्ताह में एक बार पानी दें। खादों को पूरा डालने के बाद सिंचाई करें। फसल को कोहरे से बचाने के लिए अंत नवंबर से दिसंबर के पहले सप्ताह में सिंचाई करें। फल विकसित होने की अवस्था सिंचाई के लिए गंभीर होती है। इस अवस्था में एक सप्ताह में दो बार सिंचाई करें। यह फलों में दरारों को कम करने में मदद मिलेगी।
पौधे की देखभाल

- हानिकारक कीट और रोकथाम

पत्तों का सुरंगी कीट : इसका हमला दिखाई देने पर प्रभावित पत्तों को तोड़ देना चाहिए।
डाइमैथोएट 30 ई सी 200 मि.ली. या इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 60 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर फल लगने के समय स्प्रे करें। 15 दिनों के अंतराल पर दूसरी स्प्रे करें।

- बीमारियां और रोकथाम




फसल की कटाई
फल का हरे रंग से गुलाबी रंग का होना और फल की सतह का समतल होना, फल पकने की निशानियां हैं। फल को गुच्छों में तोड़ा जाता है। फल तोड़ने के समय इसके साथ कुछ टहनियां और पत्ते भी तोड़ने चाहिए। इसे ज्यादा लंबे समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता। घरेलू बाज़ार में बेचने के लिए इसकी तुड़ाई पूरी तरह से पकने के बाद करनी चाहिए जब कि दूर के क्षेत्रों में भेजने के लिए इसकी तुड़ाई फल के गुलाबी होने के समय करनी चाहिए।
कटाई के बाद
तुड़ाई के बाद फलों को इनके रंग और आकार के अनुसार अलग अलग करना चहिए। प्रभावित और दरार वाले फलों को अलग कर देना चाहिए। लीची के हरे पत्तों को बिछाकर टोकरियों में इनकी पैकिंग करनी चाहिए। लीची के फलों को 1.6-1.7 डिगरी सैल्सियस तापमान और 85-90 प्रतिशत नमी में स्टोर करना चाहिए। फलों को इस तापमान पर 8-12 सप्ताह के लिए स्टोर किया जा सकता है।