कृषि

जलवायु
-
Temperature
15-35°C -
Rainfall
55-100cm -
Sowing Temperature
25-35°C -
Harvesting Temperature
15-25°C
-
Temperature
15-35°C -
Rainfall
55-100cm -
Sowing Temperature
25-35°C -
Harvesting Temperature
15-25°C
-
Temperature
15-35°C -
Rainfall
55-100cm -
Sowing Temperature
25-35°C -
Harvesting Temperature
15-25°C
-
Temperature
15-35°C -
Rainfall
55-100cm -
Sowing Temperature
25-35°C -
Harvesting Temperature
15-25°C
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
फसल की अच्छी पैदावार और अच्छे अंकुरण के लिए ज़मीन को अच्छी तरह तैयार करना जरूरी होता है। रबी की फसल को काटने के बाद तुरंत खेत को पानी लगाना चाहिए। इसके बाद खेत की हल से अच्छी तरह जोताई करें और फिर सुहागा फेर दें। ज़मीन को तीन वर्षों में एक बार गहराई तक जोतें, इससे सदाबहार नदीनों की रोकथाम में मदद मिलती है और इससे मिट्टी में पैदा होने वाले कीड़ों और बीमारियों को भी रोका जा सकता है।
बिजाई
बीज
फंगसनाशी/ कीटनाशी दवाई | मात्रा (प्रति किलोग्राम बीज) |
Imdiacloprid | 5-7gm |
Thiamethoxam | 5-7gm |
खरपतवार नियंत्रण
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP | |
Desi and American varieties | 48 | 75 | # |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH | |
Desi and American varieties | 24 | 12 | # |
सिंचाई
नीचे टेबल में सिंचाई के लिए सिफारिश किया गया समय दिया गया है।
नाज़ुक स्थिति | सिंचाई का फासला |
टहनियां बनने का समय | बिजाई के 45-55 दिनों के बाद |
फूल और फल निकलने के समय | बिजाई के 75-85 दिनों के बाद |
टिंडे बनने के समय | बिजाई के 95-105 दिनों के बाद |
टिंडे के विकास और टिंडे खिलने के समय | बिजाई के 115-125 दिनों के बाद |
पौधे की देखभाल

- बीमारियां और रोकथाम








तेला : नए जन्मे और बड़े तेले पत्तों के निचली ओर से रस चूस लेते हैं, जिससे पत्ता मुड़ जाता है। इसके बाद पत्ते लाल या भूरे हो जाते हैं और फिर सूखकर गिर पड़ते हैं। जड़ों के नजदीक कार्बोफियूरन 3 जी 14 किलो या फोरेट 10 जी 5 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से नमी वाली मिट्टी में डालें। जब फसल का उपरला हिस्सा पीला पड़ने लगे और पौधे के 50 प्रतिशत तक पत्ते मुड़ जायें तो कीटनाशक की स्प्रे करें। इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 40-50 मि.ली. या थाइमैथोक्सम 40 ग्राम या एसेटामीप्रिड 75 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।




कमी और इसका इलाज
फसल की कटाई
जब टिंडे पूरी तरह खिल जायें तो रूई की चुगाई करें। सूखे टिंडों की चुगाई करें, रूई सूखे हुए पत्तों के बिना ही चुगें। खराब टिंडों को अलग से चुगें और बीज के तौर पर प्रयोग करने के लिए रखें। पहली और आखिरी चुगाई आमतौर पर कम क्वालिटी की होती है, इसलिए इसे अच्छा लाभ लेने के लिए बाकी की फसल के साथ ना मिलाएं। चुगे हुए टिंडे साफ-सुथरे और सूखे हुए होने चाहिए। चुगाई ओस सूखने के बाद करें। चुगाई हर 7-8 दिनों के बाद लगातार करें, ताकि रूई के धरती पर गिरने से पहुंचाने वाली नुकसान से बचाया जा सके। अमेरिकन कपास को 15-20 दिनों और देसी कपास को 8-10 दिनों के फासले पर चुगें। चुगे हुए टिंडों को मंडी ले जाने से पहले अच्छी तरह साफ करें।
कटाई के बाद
चुगाई के बाद भेड़ों, बकरियों और अन्य जानवरों को कपास के खेतों में चरने के लिए छोड़ दें ताकि ये जानवर सुंडियों से प्रभावित टिंडों और पत्तों को खा सकें। आखिरी चुगाई के बाद छटियों को जड़ों सहित उखाड़ दें। सफाई रखने के लिए पौधों के बाकी बचे कुचे को मिट्टी में दबा दें। छटियां बांधने से पहले बंद टिंडों को धरती पर मारकर या तोड़कर अलग कर दें और जला दें ताकि सुंडी के लार्वे को नष्ट किया जा सके। चुगाई के बाद छटियों को उखाड़ने के लिए दो खालियां बनाने वाले ट्रैक्टर से जोताई करें।