कृषि

जलवायु
-
Temperature
14-25°C -
Rainfall
300-500mm -
Sowing Temperature
15-25°C -
Harvesting Temperature
14-20°C
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14-25°C -
Rainfall
300-500mm -
Sowing Temperature
15-25°C -
Harvesting Temperature
14-20°C
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14-25°C -
Rainfall
300-500mm -
Sowing Temperature
15-25°C -
Harvesting Temperature
14-20°C
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14-25°C -
Rainfall
300-500mm -
Sowing Temperature
15-25°C -
Harvesting Temperature
14-20°C
मिट्टी
यह फसल बहुत तरह की मिट्टी जैसे कि रेतली, नमक वाली, दोमट और चिकनी मिट्टी में उगाई जा सकती है। अच्छे जल निकास वाली, जैविक तत्व भरपूर, रेतली से दरमियानी ज़मीन में फसल अच्छी पैदावार देती है। यह फसल नमक वाली तेजाबी ज़मीनों में भी उगाई जा सकती है पर बहुत ज्यादा जल जमाव और खारी या नमक वाली ज़मीन इस फसल की खेती के लिए उचित नहीं होती।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
खेत को एक बार 30 सैं.मी. गहरा जोतकर अच्छे ढंग से बैड बनाएं। जोताई के बाद 2-3 बार तवियां फेरें और फिर 2-3 बार सुहागा फेरें। बिजाई से पहले खेत में नमी की मात्रा बनाकर रखें। बिजाई के लिए दो ढंग मुख्य तौर पर प्रयोग किए जाते हैं। 1. मेंड़ और खालियों वाला ढंग 2. समतल बैडों वाला ढंग
बिजाई
बीज
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP |
90-10 | 190-250 | 66-85 |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
40-50 | 24-32 | 40-50 |
सिंचाई
बिजाई से पहले सिंचाई करें। बिजाई के बाद 10-12 दिनों के अंदर अंदर पहली सिंचाई करें। दूसरी सिंचाई पहली सिंचाई के 7 दिनों के बाद करें। बाकी की सिंचाइयां जलवायु की परिस्थितियों और जरूरत के अनुसार करें। गांठे बनने की अवस्था सिंचाई के लिए बहुत महत्तवपूर्ण होती है। इस अवस्था में पानी की कमी ना होने दें। ज्यादा सिंचाई ना करें इससे गलने की बीमारी का खतरा बढ़ता है। पुटाई से 10-12 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें।
खरपतवार नियंत्रण
पौधे की देखभाल

- हानिकारक कीट और रोकथाम






- बीमारीयां और रोकथाम





फसल की कटाई
कटाई के बाद
सब से पहले आलुओं को छांट लें और खराब आलुओं को हटा दें। आलुओं को व्यास और आकार के अनुसार बांटे। बड़े आलू चिपस बनने के कारण अधिक मांग में रहते हैं। आलुओं को 4-7 डिगरी सैल्सियस तापमान और सही नमी पर भंडारण करें।