कृषि

जलवायु
-
Temperature
34°C (max)15°C (min) -
Rainfall
2500mm
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Temperature
34°C (max)15°C (min) -
Rainfall
2500mm
मिट्टी
जूट की खेती, मिट्टी की सभी किस्मों- चिकनी से दोमट मिट्टी में की जा सकती है, पर यह दोमट जलोढ़ मिट्टी में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। लेटेराइट और बजरी वाली मिट्टी इसकी फसल के लिए उपयुक्त नहीं होती। यह मिट्टी की पी एच 5.0-7.4 को सहन कर सकती है।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
ज़मीन की अच्छे से और मिट्टी के भुरभुरा होने तक जोताई करें। जोताई के बाद मिट्टी को नदीन और रोड़ियों रहित बनाएं। उसके बाद मिट्टी को अच्छे से समतल करें। खेत की तैयारी के समय 2-4 टन गाय का गला हुआ गोबर प्रति एकड़ में डालें।
बिजाई
बीज
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP | |
Capsularis |
53 | 75 | 20 |
Olitorius |
36 | 50 | 14 |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH | |
Capsularis | 24 | 12 | 12 |
Olitorius | 16 | 8 | 8 |
खरपतवार नियंत्रण
सिंचाई
बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है। यदि मिट्टी में नमी मौजूद ना हो तो बिजाई से पहले सिंचाई करें। बिजाई के बाद 20 दिनों के अंतराल पर दो से तीन सिंचाई करें। अंकुरण और फसल का घुटने के कद के होने की अवस्थाएं सिंचाई के लिए गंभीर होती हैं। इन अवस्थाओं पर पर्याप्त सिंचाई करें। यह फसल जल जमाव और सूखे की स्थितियों के प्रति संवेदनशील होती हैं। बारिश के मौसम में खेत में पानी ना खड़ा होने दें। खेत में पानी के निकास का उचित प्रबंध करें।
पौधे की देखभाल
- हानिकारक कीट और रोकथाम
तने की भुंडी या पीली जूं या बालों वाली सुंडी : यदि इनका हमला दिखे तो क्लोरपाइरीफॉस 200 मि.ली. या साइपरमैथरीन 25 प्रतिशत ई सी 80 मि.ली. या फैनवेलरेट 20 प्रतिशत ई सी 100 मि.ली. को प्रति 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि जरूरत पड़े तो 15 दिनों के अंतराल पर दूसरी स्प्रे करें।
- बीमारियां और रोकथाम
पत्तों पर सफेद धब्बे : यदि इसका हमला दिखे तो सल्फर पाउडर 6 किलो का प्रति एकड़ में छिड़काव करें।
फसल की कटाई
अच्छी गुणवत्ता वाला फाइबर प्राप्त करने के लिए फसल की कटाई बिजाई के 100-120 दिनों के बाद करें। कटाई का उचित समय होना आवश्यक है। ज्यादा जल्दी और ज्यादा देरी से कटाई फाइबर की गुणवत्ता को प्रभावित करेगी। पौधे को ज़मीन स्तर से काटें जबकि बाढ़ वाले क्षेत्रों में, फसल को खेत में से उखाड़ लें। कटाई के बाद पौधों को दो से तीन दिनों के लिए खेत में ही रखें ताकि पत्ते सूख जाएं। उसके बाद पौधों को बंडलों में बांध लें।
कटाई के बाद
अच्छी गुणवत्ता वाला फाइबर प्राप्त करने के लिए रैट्टिंग की प्रक्रिया महत्तवपूर्ण होती है। जूट के बंडलों को 60 सैं.मी. पानी में रखें। उसके बाद इन्हें पानी वाले नदीनों से ढक दें और इसके ऊपर भारी पत्थर रखें। ध्यान रखें कि यह तालाब के निचले भाग को ना छुएं। रैट्टिंग के लिए 15-20 दिन लगते हैं और उसके बाद जूट, फाइबर निकालने के लिए तैयार हो जाता है। रैट्टिंग की तेजी को बढ़ाने के लिए बैक्टीरियल घोल का प्रयोग किया जाता है। इससे अच्छी गुणवत्ता वाला फाइबर प्राप्त होता है।