कृषि

जलवायु
-
Temperature
22-27°C -
Rainfall
50-80mm -
Sowing Temperature
20-22°C -
Harvesting Temperature
28-30°C
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22-27°C -
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20-22°C -
Harvesting Temperature
28-30°C
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22-27°C -
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Sowing Temperature
20-22°C -
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28-30°C
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20-22°C -
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28-30°C
मिट्टी
आम की खेती कईं तरह की मिट्टी में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए घनी ज़मीन, जो 4 फुट की गहराई तक सख्त ना हो, की जरूरत होती है। मिट्टी की पी एच 8.5 प्रतिशत से कम होनी चाहिए।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
ज़मीन की अच्छी तरह जोताई करें और फिर समतल करें। ज़मीन को इस तरह तैयार करें ताकि खेत में पानी ना खड़ा हो। ज़मीन को समतल करने के बाद एक बार फिर गहरी जोताई करके ज़मीन को अलग अलग भागों में बांट दें। फासला जगह के हिसाब से अलग-अलग होना चाहिए।
बिजाई
अंतर-फसलें
पौधे लगाने के बाद फूले हुए फलों को 4-5 वर्ष तक हटाते रहें, ताकि पौधे के भाग अच्छा विकास कर सकें। फलों के बनने तक यह क्रिया जारी रखें। इस क्रिया के समय अंतर फसलों को अधिक आमदन और नदीनों की रोकथाम के लिए अपनाया जा सकता है। प्याज, टमाटर, फलियां, मूली , बंद गोभी, फूल गोभी और दालों में मूंग, मसूर, छोले आदि को अंतर फसलों के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। आड़ू, आलू बुखारा और पपीता भी मिश्रित खेती के लिए अपनाये जा सकते हैं।
बीज
खाद
सिंचाई
सिंचाई की मात्रा और फासला मिट्टी, जलवायु और सिंचाई के स्त्रोत पर निर्भर करते हैं। नए पौधों को हल्की और बार-बार सिंचाई करें। हल्की सिंचाई हमेशा दूसरी सिंचाई से अच्छी सिद्ध होती है। गर्मियों में 5-6 दिनों के फासले पर सिंचाई करें और सर्दियों में धीरे-धीरे फासला बढ़ा कर 25-30 दिनों के फासले पर सिंचाई करें। वर्षा वाले मौसम में सिंचाई वर्षा मुताबिक करें। फल बनने के समय, पौधे के विकास के लिए 10-12 दिनों के फासले पर सिंचाई की जरूरत होती है। फरवरी के महीने में खादें डालने के बाद हल्की सिंचाई करें।
खरपतवार नियंत्रण
पौधे की देखभाल

- हानिकारक कीट ओर रोकथाम




- बीमारियां और रोकथाम


फसल की कटाई
फल का रंग बदलना फल पकने की निशानी है। फल का गुच्छा पकने के लिए आमतौर पर 15-16 सप्ताह का समय लेता है। सीढ़ी या बांस (जिस पर तीखा चाकू लगा हो) की मदद से पके हुए फल तोड़े और पके फलों को इक्ट्ठा करने के लिए एक जाल भी लगाएं। पके फलों को आकार और रंग के आधार पर छांटे और बक्सों में पैक करें। तुड़ाई के बाद पॉलीनैट पर फलों के ऊपरी भाग को नीचे की तरफ करके रखें।
कटाई के बाद
कटाई के बाद फलों को पानी में डुबोयें। कच्चे फल, जो पानी के ऊपर तैरते दिखाई दें, को हटा दें। इसके बाद 25 ग्राम नमक को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फलों को डुबोदें। जो फल पानी पर तैरते हैं, उन्हें निर्यात के लिए प्रयोग करें। फूड एडल्ट्रेशन एक्ट (1954) के अनुसार, यदि कोई फलों को कार्बाइड गैस का प्रयोग करके पकाता है, तो इसे जुर्म माना जाता है। फलों को सही ढंग से पकाने के लिए 100 किलो फलों को 100 लीटर पानी,जिसमें (62.5मि.ली.-187.5मि.ली.) एथ्रेल 52+ 2 डिगरी सैल्सियस में 5 मिनट के लिए तुड़ाई के बाद 4-8 दिनों के बीच-बीच डुबोयें। फल की मक्खी की होंद को चैक करने के लिए भी एच टी (वेपर हीट ट्रीटमैंट) जरूरी है। इस क्रिया के लिए 3 दिन पहले तोड़े फलों का प्रयोग करें।