कृषि

जलवायु
-
Temperature
15-35°C -
Rainfall
100-150cm -
Sowing Temperature
15-20°C -
Harvesting Temperature
22-35°C
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15-35°C -
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100-150cm -
Sowing Temperature
15-20°C -
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Sowing Temperature
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100-150cm -
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15-20°C -
Harvesting Temperature
22-35°C
मिट्टी
इसकी खेती बहुत किस्म की मिट्टी में की जा सकती है, पर रेतली दोमट मिट्टी में यह बढ़िया पैदावार देती है| मिट्टी का उचित pH 6-6.5 होना चाहिये|
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा करने के लिए 3-4 बार जोताई करें| अंत में, जोताई करने से पहले 20 किलो गली-सड़ी रूडी की खाद, 40 किलो नीम केक के साथ मिलाकर प्रति एकड़ में डालें।
बिजाई
बीज
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP |
70 | 150 | 40 |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
32 | 24 | 24 |
संपूर्ण रूप से फसल को गाय का गला हुआ गोबर 8-10 टन, नाइट्रोजन 32 किलो (यूरिया 70 किलो), फासफोरस 24 किलो (सिंगल सुपर फास्फेट 150 किलो) और पोटाश 24 किलो (म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 40 किलो) प्रति एकड़ में जरूरत होती है| गाय का गला हुआ गोबर, पोटाश और फासफोरस की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा बिजाई से 2-3 सप्ताह पहले डालें। बाकी बची नाइट्रोजन को दो हिस्सों में बांटे। पहले भाग को बिजाई के 25-30 दिन बाद और दूसरे भाग को बिजाई के 40-50 दिन बाद डालें।
सिंचाई
बिजाई के बाद तीन से चार दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। वानस्पतिक अवस्था में, जलवायु और मिट्टी की किस्म के आधार पर, गर्मियों के मौसम में 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। बारिश के मौसम में, बारिश की तीव्रता के आधार पर सिंचाई करें। फूल और फल निकलने की अवस्थाएं सिंचाई के लिए गंभीर होती हैं। इन अवस्थाओं में पानी की कमी ना होने दें।
खरपतवार नियंत्रण
नदीनों की तीव्रता के अनुसार, हाथों या कसी के साथ गोडाई करें| मलचिंग के साथ भी नदीनों को रोका जा सकता है और पानी की बचत भी की जा सकती है|
पौधे की देखभाल
- हानिकारक कीट और रोकथाम

चेपा: अगर इसका हमला दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी की स्प्रे करें|

- बीमारियां और रोकथाम

पत्तों के निचले हिस्सों पर धब्बा रोग: यदि इसका हमला दिखे तो मैनकोजेब या क्लोरोथालोनिल 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10 दिनों के अंतराल पर दो बार स्प्रे करें।
फसल की कटाई
किस्म के आधार पर फसल 90-100 दिनों में तैयार हो जाती है|मांग के मुताबिक फलों की तुड़ाई पकने के समय या उससे पहले की जा सकती है| पके हुए फलों को ज्यादातर बीज उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है| फलों को तेज़ चाकू के साथ बेल के पास से काटें|
कटाई के बाद
फलों को 70-75 प्रतिशत आर्द्रता के साथ 13-15 डिगरी सेल्सियस तापमान पर तीन महीने के लिए स्टोर किया जा सकता है।
बीज उत्पादन
बीज उत्पादन के लिए बीजों को फरवरी मार्च के महीने में बोयें। बीमार और अनचाहे पौधों को फूल निकलने के समय, फल बनने के समय और पकने की अवस्था में निकाल दें। जब फल और तने की सतह सफेद मोम की तरह दिखने लग जाए, तब फल तुड़ाई के लिए तैयार होते हैं। बीजों को अलग करें और फिर पानी से धोयें। धोये हुए बीजों को सुखाएं और स्टोर करने से पहले उन्हें साफ करें। बीजों को कम तापमान और कम नमी वाली स्थितियों पर स्टोर किया जाता है।