कृषि

जलवायु
-
Temperature
25-35°C -
Rainfall
60-90 mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
30-35°C
-
Temperature
25-35°C -
Rainfall
60-90 mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
30-35°C
-
Temperature
25-35°C -
Rainfall
60-90 mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
30-35°C
-
Temperature
25-35°C -
Rainfall
60-90 mm -
Sowing Temperature
25-30°C -
Harvesting Temperature
30-35°C
मिट्टी
इसकी खेती मिट्टी की व्यापक किस्मों में की जा सकती है। यह अच्छे निकास वाली दोमट से रेतली दोमट मिट्टी में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। नमक और जल जमाव वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
मिट्टी के भुरभुरा होने तक दो या तीन बार जोताई करें और प्रत्येक जोताई के बाद सुहागा फेरें।
बिजाई
बीज
फंगसनाशी/ कीटनाशी दवाई |
मात्रा (प्रति किलोग्राम बीज) |
Captan |
3 gram |
Thiram |
3 gram |
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MOP |
10-13 | 100 | # |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
4-6 | 16 | # |
नाइट्रोजन 4-6 किलो (10-13 किलो यूरिया), फासफोरस 16 किलो (100 किलो सिंगल सुपर फासफेट) और सल्फर 6 किलो प्रति एकड़ में बिजाई के समय डालें। खादों को बीज के नीचे 2-3 सैं.मी. की गहराई पर डालें।
खरपतवार नियंत्रण
खेत को नदीन मुक्त रखें, एक या दो गोडाई करें। पहली गोडाई बिजाई के चार सप्ताह बाद करें और दूसरी गोडाई पहली गोडाई के दो सप्ताह बाद करें।
रासायनिक तरीके से नदीनों को ख्त्म करने के लिए फलूक्लोरालिन 600 मि.ली. और ट्राइफलूरालिन 800 मि.ली बिजाई के समय या पहले प्रति एकड़ में डालें। बिजाई के बाद दो दिनों में पैंडीमैथालीन 1 लीटर को 100 से 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
सिंचाई
मिट्टी की किस्म, जलवायु और अन्य तत्वों के आधार पर हरी मूंग को तीन से चार सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। बिजाई के 30-35 दिनों के बाद पहली सिंचाई करें। उसके बाद, बाकी की सिंचाई आवश्यकता के आधार पर 15 दिनों के अंतराल पर करें।
पौधे की देखभाल
- हानिकारक कीट और रोकथाम
फली छेदक : यह गंभीर कीट है जिसके कारण उपज में भारी नुकसान होता है। यदि इसका हमला दिखे तो इंडोएक्साकार्ब 14.5 एस सी 200 मि.ली. या एसीफेट 75 एस पी 800 ग्राम या स्पिनोसैड 45 एस सी 60 मि.ली. की प्रति एकड़ में स्प्रे करें। दो सप्ताह बाद दूसरी स्प्रे करें।
तंबाकू सुंडी : इसकी रोकथाम के लिए एसीफेट 57 एस पी 800 ग्राम या क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी 1.5 लीटर की प्रति एकड़ में स्प्रे करें। पहली स्प्रे के 10 दिनों के बाद दूसरी स्प्रे करें।
बालों वाली सुंडी : इसकी रोकथाम के लिए यदि कम हमला हो तो सुंडी को हाथों से उठाएं और नष्ट करें या कैरोसीन डालकर नष्ट करें। यदि इसका हमला ज्यादा हो तो क्विनलफॉस 500 मि.ली. या डाइक्लोरवॉस 200 मि.ली. की प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
- बीमारियां और रोकथाम
पत्तों के धब्बों का रोग : इसकी रोकथाम के लिए कप्तान और थीरम से बीजों का उपचार करें। इस रोग की प्रतिरोधक किस्मों का प्रयोग करें। यदि इसका हमला दिखे तो ज़िनेब 75 डब्लयु पी 400 ग्राम की प्रति एकड़ में स्प्रे करें। 10 दिनों के अंतराल पर दो से तीन स्प्रे करें।
फसल की कटाई
85 प्रतिशत फलियों के पक जाने पर कटाई की जाती है। फलियों को ज्यादा पकने नहीं देना चाहिए इससे वे झड़ जाती हैं जिससे पैदावार का नुकसान होता है। कटाई दरांती से करें। कटाई के बाद थ्रैशिंग करें। थ्रैशिंग के बाद बीजों का साफ करें और धूप में सूखाएं।