कृषि
जलवायु
-
Temperature
20-30°C -
Rainfall
80-100 mm -
Sowing Temperature
20-25°C -
Harvesting Temperature
25-30°C
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Temperature
20-30°C -
Rainfall
80-100 mm -
Sowing Temperature
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Harvesting Temperature
25-30°C
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20-30°C -
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80-100 mm -
Sowing Temperature
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20-30°C -
Rainfall
80-100 mm -
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20-25°C -
Harvesting Temperature
25-30°C
मिट्टी
यह हर तरह की मिट्टी में उगाई जाती है। अच्छे जल निकास वाली चिकनी रेतली मिट्टी, जिस में जैविक तत्व हों, जई की खेती के लिए उचित मानी जाती है। जई की खेती के लिए 5-6.6 पी एच वाली मिट्टी बढ़िया होती है।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
एक नदीन मुक्त खेत के रूप में खेत को अच्छे तरीके से तैयार करना चाहिए। मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की 6-8 बार जोताई करें। जई की फसल जौं और गेहूं से ज्यादा के पी एच स्तर को सहन कर सकती है।
बिजाई
बीज
खाद
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA |
SSP | MOP |
70 | 100 | - |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPORUS | POTASH |
32 | 16 | - |
सिंचाई
जई की खेती मुख्यत: बारानी फसल के तौर पर की जाती है। लेकिन अगर इसे सिंचित फसल के तौर पर उगाया जाये, तो चार से पांच सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। मिट्टी में नमी के आधार पर बिजाई से पहले सिंचाई करें। बाकी की सिंचाई महीने के अंतराल पर करें। प्रत्येक कटाई के बाद सिंचाई करें।
खरपतवार नियंत्रण
जई की फसल पर नदीनों का हमला कम होता है। 1-2 गोडाई की जा सकती है। यदि नदीन खड़ी फसल पर मौजूद हों तो 2,4-डी 250 ग्राम को प्रति एकड़ में डालें।
पौधे की देखभाल

- हानिकारक कीट और रोकथाम

- बीमारियां और रोकथाम

जड़ गलन : यह जड़ों के विषाणुओं के कारण होता है। बिजाई से पहले बीजों को अच्छी तरह उपचार करने से इस बीमारी को रोका जा सकता है।
फसल की कटाई
बिजाई के 4-5 महीने बाद जई पूरी तरह पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। दाने झड़ने से बचाने के लिए अप्रैल महीने के शुरूआत में ही कटाई कर लेनी चाहिए।