खेत पाठशाला के तहत आज से कृषि विभाग का अमला खेत-खेत पहुंचकर किसानों को आय बढ़ाने के टिप्स देगा। लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें अब टिप्स दिए जा रहे है, जबकि जिले में चना और मसूर की लगभग 90 फीसद बोवनी वह कर चुके है। कृषि विभाग के सहायक उपसंचालक महेंद्र सिंह ठाकुर भी मानते है कि जिले में करीब 1 लाख हेक्टेयर में चने की बोवनी हो चुकी है। मसूर की भी लगभग बोवनी अंतिम दौर में चल रही है। हालांकि अभी गेहूं की बोवनी ना के बराबर ही हुई है।
जिले में आज से शुरू हो रहा किसान खेत पाठशाला अभियान के लिए मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रथम चरण में आज से 12 अक्टूबर तक दल अलग-अलग ग्राम पंचायतों मैं पहुंचकर किसानों को खेत की जुताई से लेकर कटाई करने तक की पूरी जानकारी उपलब्ध कराएंगे। वह किसानों को बताएंगे कि किस तरह से खेत की हकाई की जाए। उसके बाद कितनी गहरी जमीन में बीज डाला जाए, जिससे वह अंकुरित हो सके। कई बार किसान ज्यादा गहरी बोवनी कर देते हैं, जिससे बीज अंकुरित नहीं हो पाता।
खाली जमीन का बताएंगे उपयोग
आज भी जिले में 100 फीसद जमीन पर खेती नहीं होती। जबकि इस कम जगह में मक्का मूंग, जवार आदि की खेती की जा सकती है। जिससे किसान अतिरिक्त आए ले सकता है।
मिट्टी का परीक्षण नहीं कराते
मिट्टी का परीक्षण कराने के लिए भी ज्यादातर किसानों में कोई रुचि दिखाई नहीं देती जिसके चलते उन्हें इस बात की जानकारी नहीं मिल पाती कि उनकी मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी है और वह किस तरह से दूर हो सकती है। किसान परंपरागत तरीके से खेती करते रहते हैं, जिससे उन्हें बहुत ज्यादा लाभ नहीं हो पाता। कृषि विभाग का अमला किसानों को बताएगा कि वह मिट्टी का परीक्षण कब-कब कराएं और उससे उन्हें क्या लाभ होंगे। इसके अलावा बीज उपचार कराकर बोवनी करने से विभिन्न बीमारियों से फसलों को बचाया जा सकता है।
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स्रोत: Nai Dunia

                                
                                        
                                        
                                        
                                        
 
                            