देश में कृषि उद्यानिकी उत्पादों का प्रचुर उत्पादन होने के बावजूद किसानों की आय में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पा रही है। इसका मुख्य कारण खाद्य प्रसंस्करण की सीमित सुविधा के साथ ही वातानुकूलित वाहन श्रृंखला का अभाव होना है। ऐसे में 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के लक्ष्य को पाना कठिन है। वातानुकूलित वाहन श्रृंखला को बढ़ाने से ही किसानों की आय में वृद्धि हो सकेगी।
उल्लेखनीय है कि हमारे देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत होने के बावजूद भी कृषि उद्यानिकी उपज फल और सब्जियों को वातानुकूलित गोदाम तक पहुंचाने के लिए देश के अधिकांश किसानों को सस्ती दरों पर वातानुकूलित वाहन श्रृंखला नहीं मिलने से उन्हें अपनी जल्द खराब होने वाली फसलों को कम भाव में बेचना पड़ता है। इस कारण उनकी आय में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पा रही है। स्मरण रहे कि इस आधुनिक परिवहन व्यवस्था के तहत कृषि उपज को नियंत्रित तापमान के बीच रखकर खाद्य वस्तुओं को सडऩे से बचाया जाता है।
हमारे देश में कृषि उद्यानिकी उत्पादों का भरपूर उत्पादन होने के बाद भी देश के किसान अपनी फसल का निर्यात नहीं कर पाते हैं। इस कारण देश की करीब 40 प्रतिशत उपज बर्बाद हो जाती है। ब्रिटेन में 70 प्रतिशत कृषि उद्यानिकी उत्पादों का वातानुकूलित वाहन श्रृंखला से भण्डारण होता है, जबकि भारत में इस व्यवस्था से सिर्फ 4 प्रतिशत ही भण्डारण होता है।
इस वातानुकूलित प्रबंधन व्यवस्था से देश की कृषि उपज की बर्बादी को रोका जा सकता है। इसके लिए सरकार को विशेष रूचि लेकर इसके लिए प्रयत्न करने होंगे, ताकि किसान इसके लिए प्रेरित हों। हालाँकि यह योजना खर्चीली जरूर है। लेकिन यदि यह व्यवस्था देश के सभी क्षेत्रों में लागू हो गई तो, न केवल निर्यात बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। सरकार के 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के लक्ष्य को पाने में यह योजना कारगर सिद्ध हो सकती है।
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स्रोत: Krishak Jagat

                                
                                        
                                        
                                        
                                        
 
                            