खेतों में ड्रोन से कीटनाशक के छिड़काव की परिकल्पना अब साकार हो रही है। गत दिनों मंदसौर के कृषि विज्ञान केंद्र एवं उद्यानिकी महाविद्यालय, मंदसौर की मदद से प्रयोग के तौर पर सोयाबीन की फसल पर ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव किया गया। दो दिनों में 4-5 जगह किए गए इसके प्रयोग के दौरान कृषि वैज्ञानिक,कीटनाशक/कृषि उपकरण से संबंधित व्यवसायी और किसान सहित करीब सौ लोग उपस्थित थे।
इसके पूर्व इस ड्रोन का कलेक्टर बंगले पर ट्रायल किया गया था। कलेक्टर श्री मनोज पुष्प का कहना था कि केवीके के माध्यम से यह प्रदर्शन किया जा रहा है। यह ड्रोन सामान्य और जिले उद्यानिकी फसलों में विपरीत परिस्थितियों में भी उपयोगी साबित होगा। यदि इसे कस्टम हायरिंग स्कीम को शामिल कर दिया जाएगा और जिले में यदि 8-10 ड्रोन हो जाएंगे तो ऊंचाई पर विपरीत परिस्थितियों में कीटनाशक छिड़कने में मदद मिलेगी। फ़िलहाल इसे निजी कम्पनी प्रदर्शित कर रही है, जो एक एकड़ के छिड़काव का 500 रुपए शुल्क लेती है। यह राशि अधिक लगती है। यहां के दो चार लोग यदि इसे खरीद लेते हैं, तो इसे सस्ता करने की कोशिश करेंगे। यह सरकारी योजना में शामिल हो जाए तो किसानों को और सस्ता पड़ेगा। केवीके में भी एक ड्रोन के आने की संभावना है।
कृषि विज्ञान केंद्र मंदसौर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक श्री जी एस चुण्डावत ने कृषक जगत को बताया कि गरुड़ा एयरो स्पेस कम्पनीप्रालि का यह ड्रोन है जो जिले के 5 ब्लॉक की संतरा फसल और उसमे लगने वाले रोगों की रोकथाम में बहुत उपयोगी साबित होगा। इसके अलावा यदि खेत में एक दो दिन के लिए मौसम खुलता है तो यह कम समय में अधिक फसल पर छिड़काव कर सकता है। इसके द्वारा छिड़काव से मानव पर कीटनाशकों का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है, वहीं छिड़काव के दौरान सर्पदंश जैसे खतरों से भी बचाव होता है। यह फसल पर 2-3 मीटर की ऊंचाई पर छिड़काव करता है। यदि ऊँचे वृक्ष भी हो तो 150 फ़ीट की ऊंचाई पर छिड़काव कर सकता है। इसमें 10 लीटर का टैंक लगा हुआ है जो एक एकड़ के लिए पर्याप्त होता है। 10-12 मिनट में छिड़काव कर देता है। इसकी श्रेणी अल्ट्रा लो वॉल्यूम की है जिसमें कम पानी लगता है। श्री चुण्डावत ने कहा कि शनिवार और रविवार को दो दिन तक 4-5 जगह किए प्रयोग के दौरान कृषि वैज्ञानिक,कीटनाशक/कृषि उपकरण से संबंधित व्यवसायी और किसान सहित करीब सौ लोग उपस्थित थे। इस ड्रोन की कमियों का जिक्र करते हुए श्री चुण्डावत ने कहा कि यह ड्रोन पूरी तरह फ़ीट नहीं है, इसमें संशोधन की ज़रूरत है। इसे चलाने के लिए कुशल श्रमिक की आवश्यकता पड़ती है, आम आदमी इसे नहीं चला सकता है। इस ड्रोन की कीमत 6 लाख रुपए है, जो मध्यमवर्गीय किसान की पहुंच से बाहर है। इसके फेन की स्पीड बहुत ज्यादा है, यदि फूल वाली फसलों पर इससे छिड़काव किया गया तो फूलों के गिरने का खतरा है। इसकी लागत कम करने के साथ ही इसमें और अनुसन्धान करने की आवश्यकता है।
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स्रोत: Krishak Jagat

 
                                
 
                                         
                                         
                                         
                                         
 
                            
 
                                            