शहर से करीब तीन कि मी दूर पहाड़िया के पास स्थित एक खेत में मंगलवार को नरवाई की आग बुझाने के लिए पवारखेड़ा कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक आरके मिश्रा ने जान की बाजी लगा दी। वे एक घंटे तक अकेले ही आग से जूझते रहे। उनके हौसले के कारण आग समय पर काबू हो गई। जिससे कुछ दूर स्थित खेतों में सैंकड़ों एकड़ गेहूं की फसल और शैलचित्र बच गए। उन्हें होशंगाबाद अस्पताल में भर्ती कराया है।
शुक्रवार को नरवाई की आग से होशंगाबाद-इटारसी क्षेत्र में तीन हजार एकड़ से अधिक फसल खाक हो गई थी। तीन किसानों और एक ड्राइवर की मौत हो गई थी। वहीं सोलह लोग झुलसकर अस्पताल में भर्ती हैं। इसी के मद्देनजर श्री मिश्रा ने अपनी जान जोखिम में डाली। तभी वहां से गुजरी नवदुनिया टीम ने तहसीलदार शैलेंद्र बड़ोनिया और फायरब्रिगेड को सूचना दी।
इनका कहना है
खेतों को बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिक आरके मिश्रा ने जो प्रयास किए, वे सराहनीय है। घटनाक्रम की जानकारी ली गई है।
मिश्रा की जुबानी, आग की कहानी
दोपहर करीब एक बजे मैं होशंगाबाद से निर्वाचन प्रशिक्षण लेकर बाइक से अपने ऑफिस पवारखेड़ा जा रहा था। तभी राधास्वामी सत्संग भवन के पास एक खेत में भूसा मशीन की ट्राली और नरवाई जलती दिखी। मैं तुरंत बाइक खड़ी कर खेत में गया। वहां कुछ झाड़ियां तोड़कर आग बुझानी शुरू कर दी। मेरी प्राथमिकता यह थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, आग बुझाना है। यदि आग सड़क के दूसरी तरफ पहुंच गई तो हजारों एकड़ खड़ी फसल खाक हो जाएगी।
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स्रोत: Nai Dunia

                                
                                        
                                        
                                        
                                        
 
                            