11 October 2017
सरकार ने धान खरीद से कच्चा आढ़त सिस्टम खत्म कर दिया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की हरी झंडी के बाद मंगलवार को प्रमुख सचिव-खाद्य आनंद वर्द्धन ने इसके आदेश कर दिए। अब से न तो कमीशन एजेंट-कच्चा आढ़तियों से धान खरीदा जाएगा। और न ही प्रदेश के बाहर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर।
इसके साथ ही किसानों से लिए धान खरीद का नया मानक भी तय किया गया है। प्रमुख सचिव के अनुसार यूएसनगर के धान की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 50 से 70 कुंतल के करीब है। इसलिए औसत उत्पादकता 60 कुंतल प्रति हेक्टेयर मान ली गई है। किसानों से इसी मानक के अनुसार धान खरीदा जाएगा।
कच्चा आढ़त व्यवस्था में था झोल: धान खरीद में सबसे बड़ा झोल कच्चा आढ़त का ही था। दरअसल, सरकारी स्तर पर धान खरीद में धान में नमी 17 फीसदी तक ही होनी चाहिए। इससे ज्यादा होने पर धान नहीं लिया जाता। पर, कच्चा आढ़त के तहत कुछ व्यापारी से अधिक नमी वाले धान को भी किसान की मजबूरी का फायदा उठाते हुए औनेपौने पर खरीद लेते थे। इससे न तो किसान को ही उसकी मेहनत का पूरा फल मिल पाता था। वहीं सरकार को भी कच्चा आढ़त से धान खरीदने पर ज्यादा आर्थिक नुकसान होता था। कच्चा आढ़त खत्म होने से खरीद प्रक्रिया कुछ और पारदर्शी होने की उम्मीद बंधी है।
वित्त विभाग करेगा चावल खरीद की जांच: एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर खाद्य विभाग विभागीय जांच के साथ-साथ वित्त विभाग से स्पेशल ऑडिट भी कराने जा रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी मंजूरी दे दी है। जल्द ही इसका आदेश जारी कर दिया जाएगा। वर्तमान में खाद्य विभाग अपने स्तर से मिल से लेकर उपभोक्ता तक चावल सप्लाई के नेटवर्क की जांच कर रहा है। वित्त विभाग दो साल की पूरी खरीदफरोख्त का ऑडिट करेगा।
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Source: Hindustan Live 

                                
                                        
                                        
                                        
                                        
 
                            