हिमाचल में लोकप्रिय हुई प्राकृतिक खेती

January 07 2020

हिमाचल प्रदेश की खेती को जहरमुक्त करने व स्वास्थ्यवर्धक बनाने के लिए प्रदेश के किसान सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना को अपना रहे हैं जिसमें प्रदेश की महिलाएं अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। बड़े पैमाने पर लोग एकल रूप में और स्वयं सहायता समूह बनाकर प्राकृतिक विधि से हरी सब्जियों व अन्य फसलों को उगाने लगे हैं।

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत अब तक प्रदेश की 3226 पंचायतों में से 2664 पंचायतों में योजना को लागू किया जा चुका है। प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए 44325 किसानों को प्रशिक्षित किया गया है, जिसके लिए विभिन्न स्थानों पर लगभग 1031 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। निर्धारित 50 हजार किसानों के लक्ष्य के मुकाबले 39124 किसान प्रदेश में प्राकृतिक खेती को कर रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर लगभग 1650 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की जा रही है।

जिला मंडी के करसोग क्षेत्र के पांगणा गांव ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। गांव के लगभग 20 कृषक परिवारों की महिलाएं सब्जी उत्पादन कार्य से जुड़ी हैं। जिला शिमला की घैणी व पाहल पंचायत की महिलाओं ने प्राकृतिक सब्जियां उगाने के लिए विलेज आर्गेनाइजेशन हिमालय संस्था का गठन किया है। घैणी पंचायत में 8 स्वयं सहायता समूह गठित किए गये हैं। समूहों से जुड़ी महिलाएं अपने-अपने खेतों में प्राकृतिक विधि से हरी सब्जियां उगा कर अपने समूह के माध्यम से ही मार्केट में लोगों को उपलब्ध भी करवा रही हैं।

नौकरी छोड़ अपनाई प्राकृतिक खेती 

ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जियों के अलावा अन्य फसलों को भी किसान अब प्राकृतिक विधि से उगाने लगे हैं जिसमें युवा वर्ग भी आगे आया है। बिलासपुर जिले के घुमारवीं ब्लॉक के अजय रत्न ने सहायक अभियंता की नौकरी छोड़कर लगभग दो हेक्टेयर भूमि में प्राकृतिक खेती को अपनाया है। सिरमौर जिला के नाहन ब्लाक के दो युवा हरिंद्र और अर्जुन अत्री गेहूं, चना, जौ तथा लहसुन की खेती कर रहे हैं। वे मार्केटिंग करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपनी सब्जियों व अन्य फसलों के वीडियो बनाकर यू-ट्यूब पर डाल रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को जागरूक कर प्राकृतिक खेती से जोड़ा जा सके।

सरकार दे रही है यह सुविधा

योजना के अंतर्गत सरकार की ओर से लोगों को गाय खरीदने के लिए 50 फीसदी अनुदान जो कि अधिकतम 25 हजार रुपये है, दिया जा रहा है। गौशाला में गोमूत्र एकत्रीकरण के लिए फर्श को पक्का करने के लिए 8 हजार रुपये व प्लास्टिक के तीन ड्रम उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।

2022 तक पूर्ण प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने का लक्ष्य 

प्रदेश के कृषि मंत्री रामलाल मारकंडा ने बताया कि राज्य सरकार ने 2022 तक प्रदेश के सभी 9 लाख 61 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़कर पूरे देश में हिमाचल प्रदेश को प्राकृतिक कृषि राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है।

 

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स्रोत: दैनिक ट्रिब्यून