हिमाचल के कई भागों में पीला रतुआ रोग की चपेट में गेहूं की फसल, कृषि विशेषज्ञों ने दी ये सलाह

February 17 2020

हिमाचल कई भागों में गेहूं की फसल पीला रतुआ रोग की चपेट में आ गई है। मंडी और सोलन जिले में इसका प्रकोप अधिक है। विभाग ने दावा किया था कि जो बीज दिया जाएगा, उसमें यह रोग नहीं लगेगा। विभाग के दावे फेल हो गए हैं। नालागढ़ के मैदानी क्षेत्रों में गेहूं की फसल को पीला रतुआ रोग लग गया है। कृषि विभाग नालागढ़ की टीम ने दौरा कर गेहूं की फसल में पीला रतुआ पाए जाने का खुलासा किया है। किसानों को दवा छिड़काव करने की सलाह दी है। केंद्रीय निरीक्षण दल भी यहां दौरा करेगा। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के तकनीकी कर्मचारियों का एक दल पीला रतुआ रोग की जांच के लिए नालागढ़ क्षेत्र में 20 फरवरी को दौरा करेगा और किसानों की समस्याओं को भी सुनेगा। बैरछा, बघेरी, जोघों, करसौली, कल्याणपुर, मस्तानपुरा, मंझौली, दभोटा, बीड़ प्लासी, नवांग्राम, पंजैहरा क्षेत्रों में गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग पाया गया है।

कृषि विषयवाद विशेषज्ञ डॉ. प्रेम ठाकुर ने कहा कि विभाग की टीम ने जांच में पाया है कि मैदानी इलाकों में पीला रतुआ रोग फसलों को लगा है। उन्होंने कहा कि कृषि और विकास कल्याण मंत्रालय के तकनीकी अधिकारियों का एक दल पीला रतुआ रोग की जांच के लिए बीस फरवरी को नालागढ़ आ रहा है। पीला रतुआ रोग से बचाव के लिए प्रोपीकोनाजोल 3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल में छिड़काव करें और तेला कीट के निदान के लिए इमिडाक्लोप्रिड एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। प्राकृतिक खेती कर रहे किसान पीला रतुआ के लिए 1 लीटर  लस्सी 40 लीटर पानी में मिलाकर प्रति बीघा छिड़काव करें। 

इधर, मंडी के धर्मपुर में फसल इस रोग की चपेट में आ गई है। किसान निक्का राम, सीता राम, बजरंगी, श्याम लाल, कल्पना देवी, कश्मीर सिंह, गायत्री दत्त, प्यार चंद, विधि चंद ने बताया कि गंदम की फसल को पीला रतुआ रोग ने जकड़ लिया है। कृषि विभाग को इस बार में अवगत करवा दिया गया है। कृषि विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया है।

रोकथाम के लिए टील्ट दवाई का प्रयोग करने की सलाह दी। सिधपुर, बहरी, भरौरी, धर्मपुर, लौंगणी और सरी पंचायतों में इस रोग का ज्यादा असर है। धर्मपुर कृषि विभाग के कृषि विषयवाद विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप गुलेरिया कहा कि ध्यान में मामला आया है। किसानों को इसकी रोकथाम के लिए टील्ट दवाई का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। 


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स्रोत: अमर उजाला