वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन पर खासा जोर दिया। इसके तहत वित्त मंत्री ने किसानों सिंचाई के लिए सोलर पंप मुहैया कराने का ऐलान किया गया है। साथ ही रेलवे की खाली जमीन पर सोलर पैनल लगाकर बिजली उत्पादन की बात कही। वहीं दूसरी तरफ सोलर उपकरण पर कस्टम ड्यूटी 20 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया। ऐसे में जानकारों की मानें, तो इस कदम से सरकार के स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को झटका लग सकता है। सरकार का कहना है कि सोलर उपकरण के आयात पर कस्टम ड्यूटी घरेलू सोलर मैन्यूफैक्चर्स के हितों को ध्यान में रखकर लिया गया है। लेकिन सोलर इंडस्ट्री में सरकार के इस कदम से चिंता है। सोलर कंपोनेंट के मार्केट में चीनी फर्म का दबदबा है। चीनी फर्म सस्ती दरों पर सोलर पार्ट्स मुहैया कराती हैं।
एनडीए सरकार ने इससे पहले साल 2018 में सोलर सेल और मॉड्यूल को रोकने के लिए शेफगार्ड ड्यूटी लगाई थी, जो इस साल जुलाई में समाप्त हो रही है। ऐसे में सरकार ने 20 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगाने का ऐलान किया है। कई घरेलू सोलर पैनल विक्रेताओं का मानना है कि इससे सोलर ऊर्जा उत्पादन की राह मुश्किल हो जाएगी। सरकार ने साल 2022 तक 100 गीगा वॉट सोलर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। भारत दुनिया में अमेरिका और चीन के बात तीसरा सबसे बड़ा एनर्जी खपत वाला देश है। भारत की सोलर ऊर्जा उत्पादन क्षमता 3 गीगीवॉट की है, जबकि भारत ने साल 2018-19 में करीब 2.16 बिलियन डॉलर का सोलर फोटोवोल्टिक सेल पैनल और मॉड्यूल का आयात किया है।
सिंचाई के साथ कमाई कर सकेंगे किसान
सरकार किसानों को सब्सिडी के रूप में सोलर पंप लगाने के लिए कुल लागत का 60% रकम देगी। सोलर ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली का उपयोग किसान अपनी भूमि की सिंचाई के लिए कर सकेंगे। साथ ही अतिरिक्त बिजली बनाकर ग्रिड को भेजकर सोलर ऊर्जा से कमाई भी कर सकेंगे। एक अनुमान के मुताबिक 17.5 लाख डीजल चालित सिंचाई पंप को सौर ऊर्जा से चलाने की व्यवस्था की जाएगी। इससे डीजल की खपत और कच्चे तेल के आयात पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। इससे न सिर्फ बिजली की बचत होगी बल्कि 28 हजार मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन भी संभव होगा। इस योजना के तहत 10,000 मेगावाट के सोलर एनर्जी प्लांट किसानों की बंजर भूमि पर लगाये जाएंगे।
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स्रोत: मनी भास्कर