कश्मीर घाटी के पांपोर और किश्तवाड़ में 32 हेक्टेयर भूमि में उगने वाले केसर का उत्पादन साल दर साल गिरता जा रहा है। जो पैदावार 25 हजार किलोग्राम तक निकलनी चाहिए वह मौजूदा समय में पांच से छह हजार किलोग्राम के बीच ही रह गई है। इससे विदेशों में दो से तीन हजार किलोग्राम केसर ही सप्लाई हो रहा है। इससे करोड़ों का नुकसान भी हो रहा है।
यहां से हर साल दो से तीन हजार किलोग्राम के आसपास केसर विदेशों में सप्लाई किया जाता है। इसका निर्यात एग्रीकल्चर प्रोसेसिंग फूड डेवलपमेंट अथॉरिटी के माध्यम से किया जाता है। इसकी एवज में विदेशों से 60 करोड़ से 90 करोड़ के आसपास व्यापार किसान करते हैं।
शेरे कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी जम्मू (स्कास्ट-जे) के शोधकर्ताओं के अनुसार केसर की पैदावार में गिरावट आने का कारण सही तरीके से खेती नहीं करना है। किसान परंपरागत तरीके से खेती के बजाए आधुनिक तकनीक से खेती करें तो इसकी पैदावार बढ़ सकती है।
साल दर साल गिरते उत्पादन को बढ़ाने के लिए किश्तवाड़ के वेयरवाड में केसर पार्क कम ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण किया जाना है। केसर सेंटर कम पार्क में किसानों को प्रोसेसिंग और हार्वेस्टिंग का प्रशिक्षण दिया जाना है। सेंटर में किसानों से केसर लेकर इसे विदेशों में बेचा जाना है। अभी तक सेंटर निर्माण के लिए कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई है।
केंद्र ने नेशनल सैफरॉन मिशन 2010 में लांच किया था। इसका मकसद कश्मीर घाटी में केसर के उत्पादन को बढ़ाना था। सरकार ने शुरुआती चार साल (2010-14) के लिए 373 करोड़ रुपये मंजूर किए। इसे कामयाब बनाने के लिए प्रोजेक्ट को दो साल के लिए और बढ़ाया गया। केसर के 800 हेक्टयेर के खेताें को पुनर्जीवित करने के लिए 40 करोड़ अतिरिक्त दिए गए, लेकिन 150 करोड़ ही इस्तेमाल हो पाए हैं।
चार साल में 250 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाए हैं। स्कॉस्ट-जे के 2010 में किए अध्ययन के मुताबिक केसर का उत्पादन करने केलिए 128 बोर वेल की जरूरत थी। लेकिन 2010 से अब तक पीएचई केवल तीन बोर वेल लगा सका। मिशन के तहत 85 बोर वेल लगाए जाने थे। 2014 की बाढ़ में 668 करोड़ का केसर प्रभावित हुआ था। इसका अभी तक मुआवजा नहीं मिला है।
वर्ष | कितना हुआ केसर (किग्रा.) | निर्यात (किग्रा.) |
2011 | 8 हजार | 3 हजार के करीब |
2012 | 7 हजार | 3 हजार |
2013 | 5 हजार | 2 हजार |
2014 | 4500 | 2500 |
2015 | 5 हजार | 2300 |
2016 | 4 हजार | 1600 |
2017 | 6200 | 3 हजार |
2018 | 6500 | 3200 |
केसर का उत्पादन बढ़ाने के लिए केसर पार्क कम सेंटर का निर्माण वेयरवाड में किया जा रहा है। मौजूदा समय में पैदावार बढ़ाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। आधुनिक तकनीक से खेती कर उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। विदेशों में उगने वाले केसर का बीज घाटी में लगाने की जरूरत है। 25 हजार किलोग्राम तक केसर की पैदावार होनी चाहिए जबकि पैदावार 5 से 6 हजार किलोग्राम ही रहती है। - जेपी शर्मा, रिसर्च निदेशक, स्कॉस्ट-जे
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स्रोत: अमर उजाला