हरित क्रांति के जनक डॉ. स्‍वामीनाथन नहीं रहे

September 29 2023

हरित क्रांति के जनक और प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डा. एम् . एस . स्वामीनाथन का आज 28 सितम्बर को  98 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. चेन्नई स्थित अपने आवास पर उन्‍होंने अंतिम सांसें ली. 7 अगस्त, 1925 को डा. स्वामीनाथन का जन्म तमिलनाडु के कुम्भकोडम में हुआ था। डा.स्वामीनाथन उन शख्सियतों में से थे, जो कृषि में बड़ा बदलाव लेकर आए ।एक दौर ऐसा था कि जब देश गेहूं के संकट से गुजर रहा था. उन्‍होंने अनाज के लिए भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता को कम कर दिया और हरित क्रांति के अगुवा बने। 

जहां से पढ़ाई की, वहीं बने निदेशक

1950 में उन्‍होंने कैम्ब्रिज स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर के प्लांट ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ाई की। अपनी Ph.D. पूरी करने के बाद उन्‍होंने विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च एसोसिएटशिप स्वीकार की। भारत लौटने के बाद 1972 में उन्हें उसी इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (IARI) का डायरेक्टर बनाया गया, जहां कभी वे छात्र रहे थे। 

वर्ल्ड फूड प्राइज से सम्मानित खेती-किसानी के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए हुए यूनाइटेड नेशंस एनवायरनमेंट प्रोग्राम ने उन्हें फादर ऑफ इकोनॉमिक इकोलॉजी की उपाधि दी। 1961 में उन्‍हें भटनागर पुरस्कार, 1971 में मैग्सेसे पुरस्कार और 1987 में उन्हें दुनिया के पहले वर्ल्ड फूड प्राइज से सम्मानित किया गया। वर्ष 2000 में उन्‍हें फ्रैंकलिन रूजवेल्ट पुरस्कार मिला, डा.स्‍वामीनाथन को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण सम्‍मान से नवाजा जा चुका है।

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स्रोत: कृषक जगत