दीपावली पर दीर्घ मंडी अवकाश का औचित्य

October 30 2021

एक ओर खुशियों और उजालों का पर्व दीपावली नज़दीक है, तो दूसरी ओर दीपावली पर मंडियों में लगभग एक सप्ताह का अवकाश रहेगा। ऐसे में वे किसान जो अपनी उपज बेचकर त्यौहार मनाने के साथ ही रबी फसल के लिए खाद-बीज और दवाइयां  खरीदना चाहते हैं, वे अपनी उपज मंडी में नहीं बेच पाएंगे और उन्हें धनाभाव का सामना करना पड़ेगा। इस स्थिति में दीपावली पर लम्बे मंडी अवकाश के औचित्य पर कृषक जगत के द्वारा सवाल उठाने पर उन्नत किसानों, किसान संगठन के प्रतिनिधि और मंडी सचिव ने अपनी मिश्रित प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष दीपावली पर प्रदेश की मंडियों में अवकाश रहता है। जिसका आह्वान व्यापारी जगत द्वारा किया जाता है। ताज़ा मामला दशपुर मंडी व्यापारी संघ के आवेदन पर कृषि उपज मंडी मंदसौर के सचिव द्वारा 1 नवंबर से 6 नवंबर तक मंडी प्रांगण में नीलामी कार्य स्थगित किए जाने की सूचना का सामने आया है। त्योहारों पर अवकाश रखे जाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन इन अवकाशों की अवधि जब एक सप्ताह तक पहुँच जाए तो, इसके औचित्य पर सवाल खड़ा होता है। पता ही है कि इन दिनों किसानों  की हालत अच्छी नहीं है। खरीफ की फसल बेचकर ही वे रबी की फसल की तैयारियां और दीवाली का त्यौहार मना पाएंगे। एक ओर सरकार किसानों को तरह–तरह की सुविधा देकर उनकी आमदनी बढ़ाने की चेष्टा कर रही है, वहीं दूसरी ओर मंडियों में एक सप्ताह का अवकाश रखकर किसानों को उनकी आय से वंचित रखा जा रहा है। यह विरोधाभासी स्थिति विचारणीय है। प्रशासन चाहे तो व्यापारियों को विश्वास में लेकर दीवाली के लम्बे अवकाश को कम कर सकता है। इससे बाज़ार में पूँजी की तरलता भी बनी रहेगी और किसानों को भी सुविधा हो जाएगी। मंडी बंद होने और खुलने पर किसानों में मचने वाली अफरातफरी से भी बचा जा सकेगा। किसानों का शोषण कम होगा और उन्हें उनकी मेहनत का वाज़िब दाम मिल सकेगा। इस विषय पर उन्नत किसानों, किसान संगठन के प्रतिनिधि और मंदसौर के मंडी सचिव की प्रतिक्रिया इस प्रकार है– टकरावदा जिला धार के उन्नत कृषक श्री मनोहर सिंह चंदेल ने इसे किसानों के साथ अन्याय बताते हुए कहा कि दीपावली त्यौहार  पर एक -दो दिन की छुट्टी ठीक है, लेकिन करीब एक सप्ताह के अवकाश को उचित नहीं कहा जा सकता है। जबकि स्कूलों में बच्चों को दीवाली पर सिर्फ एक दिन का अवकाश दिया गया है। लम्बी छुट्टी के पहले और मंडी खुलने पर  किसानों को दाम कम मिलेगा और उनका शोषण होगा। वहीं अजड़ावदा (उज्जैन) के उन्नत कृषक और किसान नेता श्री योगेंद्र कौशिक का मानना है कि दीवाली पर लम्बे समय के लिए मंडी बंद नहीं रखनी चाहिए। एक-दो दिन का अवकाश ठीक है। इन दिनों किसानों को दीवाली के साथ रबी फसल के लिए खाद-बीज आदि खरीदने के लिए रुपयों की ज़रूरत रहती है। यदि दीवाली पर मंडी खुली रहेगी तो किसानों और व्यापारियों दोनों को राहत होगी। जबकि भारतीय किसान संघ इंदौर के जिला अध्यक्ष श्री कृष्णपाल सिंह राठौर का कहना था कि दीवाली पर मंडियों में अवकाश पहले से होता रहा है, लेकिन एक सप्ताह तक मंडी बंद रखना ज्यादा हो जाता है। इससे मंडी की व्यवस्था भी बिगड़ती है। छुट्टियां बंद न हो ,लेकिन कार्य और छुट्टी के बीच संतुलन होना चाहिए। भैंसोदा (उज्जैन) के उन्नत किसान श्री ओम आंजना (पटेल) ने त्योहारों पर छुट्टियों की परम्परा का जिक्र कर कहा कि किसान मंडी बंद होने से पहले फसल बेचने आ जाते हैं और दीवाली के सामान के साथ खाद-बीज भी खरीद लेते हैं। माल किसी भी स्थिति में नहीं रुकता है। वहीं कृषि उपज मंडी मंदसौर के सचिव श्री पर्वत सिंह सिसोदिया ने कृषक जगत को बताया कि प्रति वर्ष दीवाली पर सभी मंडियां बंद रहती है। व्यापारियों के आवेदन पर 1 नवंबर से 6 नवंबर तक मंडी प्रांगण में नीलामी स्थगित रखी गई है। व्यापारी ही खरीदी करने नहीं आएँगे तो क्या कर सकते हैं।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: Krishak Jagat