नगर की कृषि उपज मंडी की हालत कई वर्षो से खराब है। यहां किसानों की उपज का सौदा बोली से नहीं होने के कारण किसान परेशान हैं। किसानों के लिए यहां बने विश्राम गृह,कैंटीन में हमेशा ताला लगा रहता है। क्षेत्र में कहने को तो किसान नेताओं की कमी नहीं हैं लेकिन मंडी की बदहाली दूर करने कोई प्रयास नहीं कर रहे है। जिससे किसानो में इन नेताओं के प्रति भी असंतोष बना है।
नगर की कृषि मंडी कभी जिले में सबसे ज्यादा धान उपार्जन करने वाली मंडी कहलाती थी। लेकिन आज मंडी में न तो डाक अर्थात बोली से सौदा हो रहे है और न ही नीलामी होती है। यहां सिर्फ गुड़ के सीजन में 4 माह गुड़ मंडी लगती है जिससे मंडी कर्मचारियों को वेतन की राशि निकलती है और शेष महिनों में कर्मचारियों को भी वेतन का इंतजार करना पड़ता है। मंडी में अनाज रखने के लिए 500-500 मीट्रिक टन क्षमता की गोदाम के अलावा एक बड़ी गोदाम भी है। लेकिन व्यापारियों को प्रतिदिन की खरीदी का अनाज रखने के लिए गोदाम नही है। जिससे व्यापारी मंडी में खरीदी का कार्य नहीं करते है। व्यापारियों का कहना होता है कि मंडी में उपज खरीदने के बाद उन्हें अपनी दुकानों पर ले जाना पड़ता है जिससे भाड़ा लगने से नुकसान होता है।
10 एकड़ में बनी है मंडीः नगर की मंडी पूर्व में नगर के बीचोबीच थी और किराए के भवन में मंडी कार्यालय चलता था। नरसिंहपुर विधायक जालम सिंह पटेल जब मंडी के अध्यक्ष थे तो उन्होंने अपने कार्यकाल में किसानों को सुविधा देने करीब 10 एकड़ जमीन क्रय कराते हुए नई मंडी के निर्माण का कार्य कराया। किसानों को उपज रखने तीन शेड बनवाए। विश्राम गृह, कैंटीन की सुविधा दी। बाद में शासन की योजना अनुसार यहां 5 रूपये में किसानों को भोजन देने के लिए कैंटीन की विधिवत शुरूआत हुई। लेकिन वर्तमान में यहां हर सुविधा किसानों की पहुंच से कोसो दूर है। कैंटीन, विश्राम गृह में लंबे समय से ताला लगा है।
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स्रोत: Nai Dunia