शुष्क परिस्थितियों को देखते हुए बुंदेलखंड में पशुओं को दिया जाएगा ब्राजीलियन फूड

December 13 2019

बुंदेलखंड में पशुओं को ब्राजीलियन फूड खाने को मिलेगा। यहां की शुष्क परिस्थितियों को देखते हुए खास तौर से इसे मंगाया गया है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इससे न सिर्फ पशुओं का भरपूर पोषण होगा बल्कि आहार पर होने वाला खर्च भी कम किया जा सकेगा।

बुंदेलखंड के सूखे मौसम में पशुओं के आहार को लेकर सबसे अधिक समस्याएं पेश आती हैं। चारे की अनुपलब्धा के चलते तमाम पशुपालक अपने जानवर तक खुले में छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं। इस समस्या को देखते हुए भारतीय चारागाह अनुसंधान संस्थान ने ब्राजील से कम पानी में तेजी से बढ़ने वाली खास किस्म की नागफनी मंगवाई है। इसकी अब यहां पैदावार की जा रही है। इस नागफनी की खासियत यह है कि अपनी दूसरी प्रजातियों की तरह इनके पत्तों में कांटे नहीं होते। इनमें 90-92 फीसदी पानी एवं 6-7 फीसदी फूड प्रोटीन होता है। पत्तों में कांटे न होने से इसका इस्तेमाल चारे के तौर पर भी होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक गर्मियों के दिनों में शुष्क क्षेत्र में भी यह तेजी से बढ़ता है।

इसे अनुपयोगी जमीन अथवा मेड़ में आसानी से लगाया जा सकता है। बारसीम की तरह इसमें पानी की जरूरत कम होती है। इसे लगाने के बाद इसके क्लैडोट निश्चित अंतराल में तोड़कर तीस फीसदी सूखे चारे के साथ खिलाया जा सकता है। टूटने के बाद क्लैडोट फिर से बढ़ जाते हैं। पानी की मात्रा अधिक होने से यह पशुओं के भीतर पानी की जरूरत पूरी करता है और उनको प्यास कम लगती है।

ग्रासलैंड के डॉ.सुनील कुमार के मुताबिक इस आहार का फीडिंग ट्रायल भी पूरा करा लिया गया है। यहां अंबाबाय, ओरछा, दतिया आदि इलाकों में किसानों को लगाने के लिए उपलब्ध कराया गया है। एक हेक्टेयर में लगाए जाने पर करीब 15 हजार रुपये तक का ही खर्च आता है। उनका कहना है राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा में भी किसानों को इसके क्लैडोट की आपूर्ति की जा रही है।

बरसीम खरीदने में खर्च होती विदेशी मुद्रा

पशुचारे में इस्तेमाल होने वाले बरसीम पर ही हर वर्ष करीब बीस करोड़ रुपये की भारी-भरकम विदेशी मुद्रा खर्च होती है। इसको देखते हुए देश को पशु आहार के मामले में भी आत्मनिर्भर बनाने की कवायद चल रही है। इसके तहत यहां पशु चारागाह विकसित किए जा रहे।

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: अमर उजाला