लाल से पीली न पड़ जाए लीची, फलों पर ही लपेट दिए कपड़े

May 06 2019

बढ़ते तापमान में पौधों की सुरक्षा के लिए भी पारंपरिक विधियों का प्रयोग किया जा रहा है। पेड़ों पर लगे फलों को बचाने के लिए कपड़े में लपेट कर उनकी सुरक्षा की जा रही है। जहां एक लोग इंसान की प्यास बुझाने के लिए शहर के चौकचौराहों पर मिट्टी के मटके रखे गए हैं, उसी तरह प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आश्रम में लगे लीची और आम के फल को गर्मी से बचाने के लिए सूती कपड़ों का उपयोग किया जा रहा है।खास बात ये है कि ठंडे प्रदेश में होने वाली लीची को आश्रम में विशेष सुरक्षा के साथ उगाया गया है। पेड़ों पर फल तो लगे ही हैं, साथ ही 43 डिग्री के तापमान को भी लीची आसानी से सहन कर रही है।

आंध्र से लेकर यूपी के आम से सज गया है आश्रम

आश्रम में आंध्र का बेगनफली और यूपी का दशहरी आम के पौधे काफी मात्रा में लगाए गए हैं। साथ ही उनके फलों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, ताकि गर्मी का फलों पर किसी भी प्रकार का असर न हो। ब्रह्माकुमारी किरण कुमारी ने बताया कि फलों को मुख्य आश्रम राजस्थान के माउंटआबू में भेजा जाता है, जहां देश भर से आए ब्रह्माकुमार, ब्रह्माकुमारी इसका सेवन करते हैं।

ऐसे करें लीची और आम की सुरक्षा

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानकि डॉ. जीडी साहू ने बताया कि आश्रम में लीची का जो उत्पादन किया जा रहा है, वह कृषि में एक बेहतर प्रयोग है। रायुपर की गर्मी में लीची की फसल लेना आसान नहीं होता। समय पर पानी और गर्मी से बचाव का पुख्ता इंतजाम करना होता है।

आश्रम में पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इन्हीं कारणों से बेहतर फसल हो रही है। वहीं पारंपरिक कृषि में कपड़े से ढंक कर फलों की सुरक्षा करना पुरानी तकनीक है। इससे आम की फसल को भी बचाया जाता है।

इस तरह भी कर सकते हैं बचाव

डॉ. साहू ने बताया कि कपड़े के अलावा पेड़ में ग्रीन हाउस प्रभाव को लगा कर गर्मी से फलों को बचाया जा सकता है। साथ ही सुबह और शाम पेड़ों में ऊपर से नीचे तक पानी का खिड़काव करने से फलों को गर्मी से बचाया जा सकता है।

 

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स्रोत: नई दुनिया