राष्ट्रीय कृषि बाजार और FPO लॉकडाउन में इस तरह आसान करेंगे किसानों की जिंदगी

April 04 2020

कोरोना वायरस कोविड-19 (Covid-19) के कारण लगाए गए 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के बीच किसानों एवं कृषि से जुड़े कारोबारियों के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने तीन सॉफ्टवेयर मॉड्यूल की शुरुआत की है. जिससे किसानों की जिंदगी आसान होगी. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि ये सुविधाएं कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के दौरान किसानों के लिए महत्वपूर्ण कदम है. इससे कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने और सोशल डिस्टेंसिंग (Social distancing) बनाए रखते हुए भी कामकाज करने में मदद मिलेगी. यही नहीं इससे किसानों को अपने खेतों के पास ही बेहतर कीमत पर अपनी उपज बेचने में भी मदद मिलेगी.

नई सुविधाओं से छोटे और सीमांत किसानों को काफी सहूलियत होगी. वे अपनी उपज मान्यता प्राप्त गोदामों में रख पाएंगे, लॉजिस्टिक्स खर्चों को बचा सकेंगे और अच्छी इनकम लेते हुए देशभर में उपज को अच्छे तरीके से बेचकर खुद को परेशानी से बचा सकते हैं. हालांकि, व्यवहारिक बात ये है कि इसका फायदा वही किसान उठा पाएंगे जो तकनीकी रूप से थोड़े जागरूक हैं. आईए जानते हैं ऐसे कौन-कौन मॉड्यूल हैं.

वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल

यह ई-नाम (e-Nam) यानी राष्ट्रीय कृषि बाजार के माध्यम से चुनिंदा रजिस्टर्ड गोदामों से अपने इकट्ठा कृषि उपज को बेचने की सुविधा देता है. ई-नाम पोर्टल 14 अप्रैल 2016 को शुरू किया गया था. कृषि मंत्री का दावा है कि इसे अपडेट कर काफी सुविधाजनक बनाया गया है. इस वक्त 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की 585 मंडियां ई-नाम पोर्टल पर जुड़ी हुई हैं. ई-नाम एक इलेक्ट्रॉनिक कृषि पोर्टल है. जो पूरे भारत में मौजूद एग्री प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी को एक नेटवर्क में जोड़ने का काम करती है. इसका मकसद एग्रीकल्चर प्रोडक्ट के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार उपलब्ध करवाना है.

एफपीओ का ट्रेडिंग मॉड्यूल

इसके तहत एफपीओ यानी किसान उत्‍पादक संगठन (FPO-Farmer Producer Organisation) अपने उत्पादों को कृषि उत्पाद बाजार में लाए बिना ही सीधे अपने कलेक्शन सेंटर से व्यापार कर सकते हैं. तोमर के मुताबिक एफपीओ को बोली के लिए अपने कलेक्शन केंद्रों से अपनी उपज अपलोड करने में सक्षम बनाया जा सकेगा. वे बोली लगाने से पहले उपज की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं.

लॉजिस्टिक मॉड्यूल

यह मॉड्यूल ट्रेडर को अपनी उपज राज्यों के भीतर और बाहर ले जाने के लिए परिवहन सुविधाओं का विकल्प उपलब्ध करवाएगा. इससे पौने चार लाख ट्रक जुड़े रहेंगे. परिवहन के इस प्लेटफॉर्म के जरिए उपयोगकर्ताओं तक कृषि उपज सुविधापूर्वक और जल्दी पहुंचाई जा सकेगी.


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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी