मोदी सरकार की इस पहल से खत्म हो जाएगी किसानों की सबसे बड़ी टेंशन, रिस्क हो जाएगा जीरो!

June 18 2019

दिसंबर 2018 में आगरा के नंगला नाथू गांव निवासी आलू उत्पादक किसान प्रदीप शर्मा का दर्द सोशल मीडिया पर छाया हुआ था. वो दर्द था 19 टन आलू बेचने के बाद 490 रुपये की बचत का. आगरा से फर्रुखाबाद तक आलू किसानों की कमोबेश यही दशा है. कई बार तो दाम इतना गिर जाता है कि वे कोल्ड स्टोर से आलू निकालते तक नहीं.

यह परेशानी सिर्फ आलू किसानों तक ही सीमित नहीं है. प्याज और टमाटर उगाने वाले किसानों का ये दर्द किसी से छिपा नहीं है. लेकिन अब मोदी सरकार ने किसानों को इस हालात से बचाने के लिए रास्ता निकाल लिया है. उस रास्ते पर अगर सभी राज्य चल पड़ें तो किसानों का दाम मिलने से संबंधित जोखिम जीरो हो जाएगा. इसके लिए सरकार ने कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट (Contract Farming Act 2018) बनाया है.

किसानों से एग्रीमेंट करेंगी निजी कंपनियां

निजी कंपनियां बुवाई के समय ही किसानों से एग्रीमेंट कर लेंगी कि वह फसल किस रेट पर लेंगी. रेट पहले ही तय हो जाएगा. ऐसे में किसान फायदा देखकर दाम बताएगा. कांट्रैक्ट करने वाली कंपनी को उसी रेट पर फसल खरीदना पड़ेगी. जितने दाम पर कांट्रैक्ट होगा उतना तो किसान को मिलेगा ही. अगर दाम बहुत कम रेट पर तय हुआ और फसल पैदा होने के बाद बाजार में उसके रेट में काफी तेजी आ गई उस हालात में जो विवाद पैदा होगा उसके निपटारे के लिए भी सरकार ने प्रावधान किया है.

जोखिम को जीरो कर देगा कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट

न्यूज18 हिंदी से बातचीत में फामर्स इनकम डबलिंग कमेटी के चेयरमैन डॉ. अशोक दलवाई ने कहा कि खेती-किसानी में जोखिम ही जोखिम है. किसान हमेशा इस चिंता में घिरा रहता है कि वो जो फसल उगा रहा है उसका उचित दाम मिलेगा या नहीं. कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट इस जोखिम को जीरो कर देता है. इसलिए जल्द से जल्द सभी राज्यों को इसे लागू कर देना चाहिए. इसमें किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है. सरकार उनके साथ खड़ी है.

एक्ट को लेकर समीक्षा बैठक

नए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने अधिकारियों के साथ इस एक्ट पर समीक्षा बैठक की है. ताकि किसानों को फायदा मिल सके. यह एक्ट किसानों की आय बढ़ाने का बड़ा माध्यम हो सकता है. क्योंकि किसान अपनी किसी फसल से मिलने वाली रकम को लेकर निश्चिंत होगा. कांट्रैक्ट खेती में किसान के साथ करार करने वाली निजी कंपनी या व्यक्ति के अलावा सरकारी पक्ष भी होगा, जो कृषक के हित का खयाल रखेगा.

 

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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी