मानसून से पहले करें वर्षा जल संरक्षण की तैयारी

May 25 2021

जून माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल वर्षा का 90 प्रतिशत पानी बेकार जाता है यदि इस पानी का संरक्षण किया जाए तो हमारे देश में जो सिंचाई के लिए पानी की कमी होती है उसको पूरा किया जा सकता है। देश में लगातार जल स्तर नीचे जा रहा है। इसका मुख्य कारण पानी का दोहन है। यदि देखा जाए तो खेतों में सिंचाई में सबसे ज्यादा पानी बर्बाद होता है। यह आने वाले समय में एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आएगा।

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. दयानंद ने बताया कि भू-जल स्तर का लगातार गिरना एक चिंता जनक विषय है यदि इसे रोका नहीं गया तो हम भविष्य में पानी को तरस जायेंगे। डॉ. दयानंद ने बताया कि मूंगफली व कपास की खेती में बहुत अधिक जल की आवश्यकता होती जिससे भू-जल स्तर तेजी से घट रहा है। यदि भू-जल के पानी का दोहन रोकना है तो वर्षा जल संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक है साथ ही खरीफ में कम पानी की मांग वाली फसलें जैसे बाजरा, ग्वार, मूंग व चंवला आदि की खेती करें। वर्ष जल संरक्षण हेतु कृषि विभाग की कई योजनाएं भी हैं जैसे खेत तलाई, कुण्ड, तालाब आदि जिन पर 50-70 प्रतिशत का अनुदान भी किसानों को दिया जाता है. इसके अलावा वर्षा जल से कुए व ट्यूबवेल को रिचार्ज करना भी गिरते भू-जल स्तर को रोकने का अच्छा तरीका है।

कृषि विज्ञान केंद्र के बागवानी विशेषज्ञ डॉ. रशीद खान के अनुसार कृषि में सबसे अधिक जल की खपत बागवानी फसलों को होती है। सिंचाई के उन्नत तकनीक जैसे ड्रिप सिंचाई व सूक्ष्म फव्वारा सिंचाई विधि अपनाकर 30-40 प्रतिशत जल की बचत की जा सकती है। उद्यान विभाग द्वारा उपरोक्त पर 50-70 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जा रहा है। वर्षा जल संरक्षण की विधियां अपनाकर किसान वर्षा आधारित बागवानी करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

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स्रोत: krishakjagat