बेटमा के कालीबिल्लौद में ऐसा प्लांट बनने जा रहा है, जहां मानव मल और जल का ट्रीटमेंट होगा। मानव मल को बैक्टीरिया रहित कर खाद बनाया जाएगा और दूषित जल को साफ कर खेती व मछलीपालन के उपयोग में लिया जाएगा। यह मध्य प्रदेश की पहली मल-जल प्रबंधन ईकाई होगी। 27 दिसंबर को इसका भूमिपूजन होना है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों को खुले में शौच से मुक्त तो कर लिया गया, लेकिन सेप्टिक टैंकों में इकट्ठा होने वाले मल-जल को खाली कर उसका सही डिस्पोजल करना बड़ी चुनौती बनती जा रही है। इसके बेहतर प्रबंधन के लिए केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने देशभर के 23 राज्यों में मानव मल प्रबंधन इकाई बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस तरह का प्रोजेक्ट बांग्लादेश जैसे देशों में काफी सफल रहा है।
पंचायत के चयन करते वक्त पाया गया कि कालीबिल्लौद में सबसे ज्यादा सेप्टिक टैंक हैं। यह एक किस्म की शहरी पंचायत भी है और आबादी लगभग पैंतीस हजार है। यहां से रोजाना लगभग एक बड़ा टैंकर (3000 लीटर) जल-मल किसी न किसी जगह खाली होता है। इस प्रोजेक्ट के लिए काली बिल्लौद का चयन किया गया।
मध्य प्रदेश की इस पहली इकाई की क्षमता 3-6 किलो लीटर प्रति दिन होगी। सेप्टिक टैंक खाली करने वाले मजदूरों को भी मशीनी प्रोजेक्ट से जोड़कर रोजगार दिया जाएगा। - चंचल मोदी, प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर, वाटर एड इंडिया
कालीबिल्लौद का चयन वहां की आबादी, कर स्थिति जैसे पैमानों पर हुआ है। पंचायत द्वारा जमीन का चयन कर लिया गया है। आने वाले साल में यह इकाई शुरू हो जाएगी। - नेहा मीणा, सीईओ, जिला पंचायत इंदौर
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स्रोत: नई दुनिया