मध्य प्रदेश को एक और झटका, यूरिया की आपूर्ति में दो लाख मीट्रिक टन की कमी

November 29 2019

मध्य प्रदेश के लिए फसल बीमा में केंद्र का अंश देने से इनकार के बाद केंद्र सरकार ने अब यूरिया की आपूर्ति का कोटा लगभग दो लाख मीट्रिक टन कम कर दिया। इसके पहले यूरिया की रबी सीजन के लिए मांग 18 लाख मीट्रिक टन से घटाकर 15 लाख 40 हजार मीट्रिक टन कर दी गई थी। इसका सीधा असर उन किसानों पर पड़ेगा, जो अतिवर्षा और बाढ़ की वजह से खरीफ फसलें चौपट होने के बाद रबी फसलों से उम्मीद लगाए बैठे हैं। किसानों की जरूरत को भांपते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर यूरिया की मांग और आपूर्ति पूरी करने की बात उठाई है। मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती भी इस मुद्दे को लेकर लगातार केंद्रीय अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं।

प्रदेश में औसत से 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा बारिश होने की वजह से हर किसान रबी फसलें अधिक से अधिक लेना चाहता है। इसके मद्देनजर किसान ज्यादा से ज्यादा यूरिया चाहता है। कृषि विभाग ने इस स्थिति का आकलन करते हुए केंद्र सरकार से रबी सीजन के लिए 18 लाख मीट्रिक टन यूरिया देने की मांग रखी थी, लेकिन काफी चर्चा के बाद भी दो लाख 60 हजार मीट्रिक टन मांग घटाकर पूरे सीजन के लिए कोटा 15 लाख 40 हजार मीट्रिक टन तय कर दिया।

कृषि विभाग की ओर से एक अक्टूबर से लेकर 30 नवंबर तक आठ लाख 75 हजार मीट्रिक टन यूरिया मांगा गया, लेकिन 21 नवंबर तक पांच लाख 92 हजार टन की आपूर्ति तय हुई। इसमें भी दो लाख 14 हजार मीट्रिक टन ट्रांजिट (परिवहन) में है। इसे मप्र के छतरपुर, खंडवा, होशंगाबाद, सतना शाजापुर, छिंदवाड़ा, इंदौर, जबलपुर, नरसिंहपुर और हरदा आने में कम से कम दो दिन लगेंगे।

इसके अलावा 78 हजार मीट्रिक टन खाद और 30 नवंबर तक आ सकती है। इस हिसाब से देखा जाए तो नवंबर तक डेढ़ लाख मीट्रिक टन से ज्यादा यूरिया प्रदेश को कम मिलेगा। यही वजह है कि प्रदेश के कुछ जिलों में यूरिया की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है।

76 हजार मीट्रिक टन ज्यादा लिया और 68 हजार अधिक बेचा

सूत्रों का कहना है कि कृषि विभाग करीब तीन माह पहले से ही यूरिया के इंतजाम में जुट गया था। यही वजह है कि प्रदेश के पास अभी सात लाख 98 हजार मीट्रिक टन यूरिया है, जो पिछले साल के 7.22 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 76 हजार मीट्रिक टन अधिक है। वहीं, बिक्री पांच लाख 84 हजार मीट्रिक टन की हो चुकी है, जो पिछले साल के पांच लाख 16 हजार मीट्रिक टन से 68 हजार मीट्रिक टन अधिक है।

किसान को परेशान नहीं होने देंगे- यादव

कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मांग के अनुरूप कोटा नहीं देने और आपूर्ति में भी कमी होने के बावजूद हम किसानों को परेशान नहीं होने देंगे। पूरा विभाग खाद के प्रबंधन में जुटा है। हमने पहले ही आकलन कर लिया था कि इस बार अतिरिक्त यूरिया लगेगी, इसलिए सहकारी समितियों की दुकान और गोदामों में यूरिया पहुंचा दिया था। पिछले साल की तुलना में अभी तक 13 फीसदी अधिक यूरिया बिक चुका है। जिलों में कालाबाजारी न हो, हर किसानों को यूरिया मिले, इसके लिए कलेक्टरों को मुस्तैद कर दिया है।

अफसर नहीं हुए सक्रिय तो यूरिया का संकट बढ़ना तय

मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में यूरिया की कमी के बीच अब मैदानी अफसरों के सक्रिय होने का समय आ गया है ताकि वे बढ़ती मांग के हिसाब से आपूर्ति कर सकें। प्रदेश के कई जिलों में यूरिया संकट की आहट सुनाई दे रही है। राजधानी भोपाल के आसपास के कई जिलों में इसकी कमी से समस्या गहरा सकती है। इंदौर संभाग की कई सहकारी संस्थाओं में कहीं 15 दिन तो कहीं एक सप्ताह से यूरिया नहीं है।

बैतूल, गुना, रायसेन, विदिशा, सागर जिले में यूरिया की कमी दिखाई दे रही है। यहां की सहकारी समितियों में प्रतिदिन किसानों की भीड़ लग रही है। बैतूल जिले की सहकारी समितियों में करीब 20 दिन से खाद नहीं है। गुना जिले में लगभग 10 हजार टन यूरिया की कमी है। विदिशा जिले की सहकारी समितियों में खाद नहीं पहुंचने से किसान परेशान हैं।

यहां के मार्कफेड मैनेजर उपेंद्र गुप्ता का कहना है कि किसान खाद का स्टॉक कर रहे हैं, इसलिए किल्लत की स्थिति बन रही है। सागर में खाद नहीं मिलने से परेशान ग्राम पटना बुजुर्ग के किसान गुरुवार को धरने पर बैठ गए। यहां के कृषि अधिकारियों के मुताबिक जिले में अभी पांच हजार मीट्रिक यूरिया की जरूरत है। रायसेन जिले में भी किसान यूरिया के लिए परेशान हैं।

उधर, महाकोशल- विंध्य अंचल में अभी बोवनी शुरू ही हुई है। अभी इस इलाके में यूरिया का संकट दिखाई नहीं दे रहा है। महाकोशल के जबलपुर, नरसिंहपुर, बालाघाट, सिवनी, डिंडौरी और मंडला में यूरिया की कमी के हालात नहीं हैं। हालांकि कटनी में यूरिया की कमी के संकेत मिल रहे हैं पर अधिकारियों का दावा है कि पूरी व्यवस्था बना ली गई और किसानों को खाद की कमी नहीं होने दी जाएगी।

जिले के बरही, बहोरीबंद सहित अन्य क्षेत्रों में किसानों द्वारा कहा जा रहा है यूरिया पाने के लिए उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इधर विंध्य के शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, सतना, रीवा, सीधी व सिंगरौली में भी कोई संकट नहीं है। कृषि विभाग का कहना है कि इस बार रकबा बढ़ा है। इसलिए इसकी ज्यादा मांग है।

इसी तरह, ग्वालियर- चंबल अंचल में फिलहाल यूरिया वितरण को लेकर स्थिति सामान्य है। हालांकि कुछ जिलों में जरूरत के हिसाब से स्टॉक कम है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में किसानों की मांग के हिसाब से पर्याप्त व्यवस्था है। उनका मानना है कि अभी बोवनी चल रही है। बोवनी पूरी होने के बाद यूरिया की मांग बढ़ेगी।

 

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स्रोत: नई दुनिया