बेमौसमी सब्जियों की खेती कर किसान कर रहे अच्छी आमदनी

August 30 2019

हिमाचल (धर्मशाला) के बैजनाथ उपमंडल के छोटा व बड़ा भंगाल के किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर बेमौसमी सब्जियां उगाकर अपनी आय को कई गुना बढ़ा लिया है. किसानों की मेहनत और कृषि विभाग के सहयोग एवं परामर्श से सभी प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग से यहां बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में बेहतरीन कार्य हुआ है. यहां के लगभग 700 हेक्टेयर क्षेत्र में बंद गोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, मूली और धनिया का उत्पादन हो रहा है. उत्पादन को बेचने के लिए सरकार ने मुल्थान में ही सब्जी मंडी स्थापित की है. इसके अलावा किसान अपने उत्पाद सीधे प्रदेश के अन्य भागों के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली आदि राज्यों में अच्छे भाव पर बेच रहे हैं. गौरतलब है कि गुणवत्तायुक्त एवं बेमौसमी सब्जी उत्पादन के लिए पॉलीहाउस तकनीक एक वरदान है.

पॉलीहाउस कैसा होता है ?

पॉलीहाउस एक घर नुमा ढांचा होता है जो यूवी. प्रतिरोधी पॉलीथिन की शीट से ढका होता है. इन पॉलीहाउस में कुछ चयनित ग्रीष्मकालीन बेमौसमी सब्जियों व उनकी चयनित केवल संकर किस्मों से अधिक अच्छी गुणवत्ता की पैदावार संभव है. निचले एवं मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में पॉलीहाउस में उगाई जाने वाली केवल तीन ही बेमौसमी फसलें है – शिमला मिर्च, टमाटर और पार्थिनोकार्पिक खीरा है.

पॉली हाउस में खेती करने के फायदे

सर्दियों में गर्मी : पॉलीहाउस में सर्दियों में भी बाहर की अपेक्षा अधिक गर्मी रहती है. इसलिए इसे सर्दी की ऋतु में भी गर्मी की फसलों जैसे शिमला मिर्च, टमाटर और खीरा इत्यादि उगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

गर्मियों में ठंडा : देश के पर्वतीय क्षेत्रों में पॉलीहाउस को गर्मियों में ठंडा रखने में कम लागत आती है तथा इन क्षेत्रों में सब्जी की बेमौसमी निरंतर उपलब्धता एवं उच्च गुणवत्ता हेतु प्राकृतिक हवादार पॉलीहाउस विशेष रूप से उपयोगी है.

अधिकतर ग्रीष्मकालीन पॉलीहाउस में उगाई जाने वाली सब्जियों के लिए औसत तापमान 18-25 डिग्री सेल्सियस चाहिए जो की इन क्षेत्रों में खुले वातावरण में अधिक समय तक नहीं रहता है. अतः ऐसे क्षेत्रों में पॉलीहाउस में सब्जियां उगना व्यवहारिक एवं लाभप्रद है.

पॉलीहाउस में सब्जियों की सफल खेती हेतु निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए...

  • मध्य पर्वतीय क्षेत्रों के किसान पतझड़-सहित व बसंत ऋतु में बेमौसमी धनियां, हरी पत्तेदार सब्जियां तथा मटर इत्यादि को केवल पॉलीहाउस में पूर्ण रूप से लगभग सारा साल उगा सकते है, लेकिन इस बात का किसान ध्यान रखें की इन फसलों से उन्हें आमदनी केवल बेमौसम उत्पादन से ही संभव है.
  • पॉलीहाउस में केवल अनियमित बढ़वार वाली संकर किस्में व रोग प्रतिरोधी किस्मे ही लगाएं तथा शीर्चनोचन एवं काट-छांट पर विशेष ध्यान दे.
  • पॉलीहाउस के अंदर एवं बहार सफाई का विशेष ध्यान रखें तथा एवं दरवाजा हमेशा बंद रखें.
  • ड्रिप-सिंचाई विधि द्वारा तथा फर्टिगेशन (खाद+पानी) का विशेष ध्यान रखें तथा उपयुक्त समय पर सिंचाई व तरल खाद फल बनने के बाद देते रहें.
  • दोहरा दरवाजा, किनारे व ऊपर मलमल के जाले (40-50 मैश) का प्रयोग करे तथा पॉलीहाउस के ऊपर रोलिंग टाइप के हरे छायादार जले 50% का उपयोग अप्रेल से सितंबर तक आवश्यकतानुसार 11 बजे (सुबह) से 3 बजे (शाम) तक करें. ध्यान रखें पॉलीहाउस में दिन का तापमान 25 डिग्री सेंटीग्रेड से उपन न जायें.

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: कृषि जागरण