ड्राई फ्रूट खाना सेहत के लिए काफी अच्छा होता है, लेकिन जब आम लोग इनकी कीमत सुनते हैं, तो इसे खरीदने से बचते हैं. वैसे ड्राई फ्रूट में काजू भी है, जो काफी महंगा बिकता है। इसके चलते किसानों के लिए काजू के बागान लगाना काफी लाभकारी साबित हो सकता है।
मगर कई बार किसानों को काजू के बागान में कीट प्रकोप होने से भारी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में केंद्र सरकार ने केरल की महिला किसान द्वारा विकसित एक अभिनव तरीके को आवश्यक सहायता देने के लिए चुना है। इससे काजू के बागानों में कीटों को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।
क्या है नई तकनीक?
दरअसल, कन्नूर जिले की महिला किसान ने काजू मल्टीपल रूटिंग प्रोपेगेशन मेथड विकसित किया है। इसकी सहायता से एक बड़े काजू के पेड़ में कई जड़ें उत्पन्न होती हैं, जिससे प्रति यूनिट क्षेत्र में उत्पादन में सुधार होता है। यह विधि तना और जड़ों के पर्यावरण अनुकूल तरीके से प्रबंधन में भी मदद करेगी।
इसके साथ ही फसल की उत्पादकता को बहाल, तेज हवा व चक्रवाती तूफान के खिलाफ सुरक्षा और फिर से रोपण की आवश्यकता के बिना वृक्ष की आयु का विस्तार करती है। इसके साथ ही मंत्रालय ने कहा है कि पुराने काजू के बागान रखने वाले काजू उत्पादकों में अतिरिक्त उपज की नई उम्मीद पैदा होगी।
काजू के पेड़ों में समर्थक जड़ें विकसित करने की तकनीक
कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि महिला किसान ने अपने पुराने काजू के बगीचे के लिए काजू के पेड़ों में समर्थक जड़ें विकसित करने की नई तकनीक निकाली है। इससे काजू को विनाशकारी कीटों के हमलें और लगातार चक्रवाती तूफान से बचाया जा सकेगा।
बता दें कि इस नवीन प्रौद्योगिकी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ने जरूरी सहायता के लिए चुना है।
इस नई विधि को आगे कर्नाटक में पुत्तूर में काजू अनुसंधान निदेशालय के साथ-साथ केरल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2020 में सत्यापित किया गया है।
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स्रोत: Krishi Jagran