लगातार बिगड़ते मौसम और जलवायु परिवर्तन से फसलों पर पड़ रहे प्रभाव, उत्पादन में आ रही गिरावट और मृदा में आर्गेनिक कार्बन की कमी को दूर करने के लिए कृषि वैज्ञानिक अब खेतों पर जाकर शोध करेंगे।
यह अभियान उत्तर प्रदेश के 26 जिलों में चलेगा। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हस्तिनापुर क्षेत्र में 300 हेक्टेयर भूमि पर शोध किया जाएगा।
इसके लिए यूपी काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (उपकार) ने भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान को डेढ़ करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। जिसके बाद दूसरे जिलों में काम शुरू होगा। इस प्रोजेक्ट में आईआईएफएसआर के वैज्ञानिक स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम करेंगे।
गंगा के आसपास होगा शोध
भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. आजाद सिंह पंवार के अनुसार गंगा के आसपास यह प्रोजेक्ट चलाया जाएगा। गंगा के सहयोग से वहां पर ग्रीन गैसों को कम करने का काम किया जाएगा। जिससे रिसर्च में काफी मदद मिलेेगी।
इस प्रोजेक्ट पर काम करने से किसान अपने यहां भी इन तकनीक से खेती कर सकेंगे। इस प्रोजेक्ट के लिए कमेटी गठित की गई है, जिसमें वैज्ञानिक डॉ. एमपी सिंह, डॉ. निशा, डॉ. एके पुरुस्ति, डॉ. पीसी जाट, डॉ. पूनम कश्यप आदि कार्य करेंगे।
- आर्गेनिक फार्मिंग पर काम होगा।
- कृषि प्रणाली को बढ़ावा दिया जाएगा।
- संरक्षित खेती को तकनीक से किया जाएगा।
- मृदा एवं जल संरक्षण पर काम होगा।
- पशु नस्ल में सुधार किया जाएगा।
- मछली पालन किया जाएगा।
- मशरूम, शहद उत्पादन भी होगा।
- ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम किया जाएगा।
इन जिलों में चलेगा प्रोजेक्ट
- वेस्टर्न जोन : मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर
- मिड वेस्टर्न जोन : अमरोहा, बदायूं, शाहजहांपुर
- साउथ वेस्टर्न जोन : मथुरा, आगरा, एटा
- तराई जोन: लखीमपुर खीरी, बहराइच, सहारनपुर
- सेंट्रल जोन : फतेहपुर, कानपुर देहात, हरदोई, सीतापुर
- ईस्टर्न जोन: अयोध्या, चंदौली, मऊ
- नॉर्थ ईस्ट जोन : सिद्धार्थनगर, देवरिया, गोरखपुर
- विंध्याचल जोन : प्रयागराज, सोनभद्र, मिर्जापुर
- बुंदेलखंड जोन : झांसी
किसानों के लिए बहुत उपयोगी
यह बड़ी परियोजना है। यूपी के 26 जिलों में चलाई जाएगी। हस्तिनापुर क्षेत्र में 300 हेक्टेयर भूमि पर काम होगा। किसानों के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत ही उपयोगी होगा।- डॉ. आजाद सिंह पंवार, निदेशक आईआईएफएसआर
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स्रोत: अमर उजाला