रेज्ड-बैड पद्धति से बुआई की तो बेहतर होगा उत्पादन

July 04 2019

मानसून की आमद होते ही जिले में बुआई का सिलसिला शुरु हो चुका है लेकिन मौसम की अनिश्चितताओं को देखते हुए उन्नत तरीके खेती करना ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता है। ऐसे में गिरवर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को सलाह दे रहे हैं कि वे रेज्ड-बैड पद्धति से बुआई करें। इस पद्धति में बारिश कम या ज्यादा दोनों तरह की स्थिति में पैदावार बेहतर होने की उम्मीद रहती हैं। जिले में कई किसान इस पद्धति से बुआई करने भी लगे हैं।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस धाकड़ बताते हैं कि बीज का चयन सिर्फ अनुशंसित किस्म का ही करें। अंकुरण क्षमता जांच करना महत्वपूर्ण रहता है। जो बीच 70 फीसदी से कम उगते हैं उनकी बुआई नहीं करें। वहीं इसके बाद बीजोपचार करने के बाद ही बुआई करें। इससे बीमारियों से काफी हद तक फसल बची रहती है। उन्होंने बताया चार इंच बारिश होने के बाद 25 जून से सात जुलाई के बीच बुआई के लिए समय अनुकूल रहता है। सोयाबीन फसल की बुआई आधुनिक तकनीक रेज्ड-बैड तरीके से करें। रेज्ड-बैड का मतलब ऊंची क्यारी पद्धति होता है। आलू की मेढ़ की तरह इसकी मेढ़ बनती है। रेज्ड-बैड पद्धति से बुआई करने से खेतों में दो लाइनों के बीच एक गहरी नाली बनाई जाती है। ऐसे में जब कम बारिश होती है तो किसान नालियों को बंद कर पानी जमा कर पानी की पूर्ति कर सकते हैं। वहीं ज्यादा बारिश होने पर पानी निकाला जा सकता है। जिले में करीब तीन हजार हेक्टेयर में इस पद्धति का प्रयोग किया जा रहा है। इस विधि द्वारा मृदा नमी का संरक्षण भी होता है। पौधे को पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन और नाइट्रोजन मिल जाती है। मेड़ से मेड़ की दूरी पर्याप्त होने से पौधों की सूर्य की किरणें अधिक से अधिक मिलती है। इस कारण पौधें स्वस्थ रहते हैं। रेज्ड-बैड पद्धति से बुआई करने पर कम या ज्यादा बारिश दोनों ही स्थिति में किसानों को बेहतर उत्पादन मिलता है। इस तकनीक से बोई गई फसल में यदि बारिश में 15 दिन तक की भी खेंच हो जाए तो सोयाबीन फसल को कोई नुकसान नहीं होता है। अधिक बारिश हो तो भी उत्पादन बेहतर रहता है। उन्होंने बताया उन्नत खेती करने के लिए किसानों को के.वी.के. द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है। शाजापुर के कई कृषक रेज्ड-बैड पद्धति से बोवनी करने से लेकर कटाई तक नई तकनीकों को अपनाकर बेहतर उत्पादन लेकर कार्य कर रहे हैं। इस पद्धति से सोयाबीन की बोवनी करने वाले किसानों को विपरित परिस्थतियों में भी प्रति बीघा तीन से चार क्विंटल का उत्पादन तक लिया है।

जिले में 22 फीसदी हुई बोवनी

जिले में इस बार खरीफ फसलों का कु ल रकबा जिले में दो लाख 85 हेक्टेयर के लगभग है। इसमें से दो लाख 75 हजार हेक्टेयर में तो सोयाबीन की फसल की बुआई की जान है। जबकि शेष भूमि में दलहनी फसल सहित मक्का, ज्वार आदि की बुआई होगी। विगत दिनों हुई बारिश के बाद जिले में बुआई के काम में भी तेजी आ गई है। जानकारी के अनुसार अब तक 30 फीसदी क्षेत्र में बुआई का काम पूरा हो चुका है। आने वाले दिनों में बुआई में और तेजी आएगी।

2एसजेआर30- बोवनी के लिए ट्रैक्टर से अपना खेत तैयार करता किसान।

 

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स्रोत: नई दुनिया