हकाई जुताई के बाद अब किसान बीज-खाद की व्यवस्था में लगे हुए हैं। साथ ही अब उन्हें इंतजार है जीवनदायिनी माही नहरों का। किसानों का मानना है कि जैसे ही माही नजरों का पानी खेतों तक पहुंचता है तो उनके द्वारा बोवनी कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर इस बार जलस्रोतों में भरपूर पानी होने के चलते किसान इस कार्य को जल्दी से जल्दी पूरा करना चाहते हैं।
वर्तमान समय में मौसम की अनुकूलता के साथ-साथ पानी की भरपूर उपलब्धता को देखते हुए किसानों का रुख गेहूं की फसल की ओर बढ़ा रहा है। किसानों का कहना है कि माही नेहरों का पानी हमें उपलब्ध हो जाएगा। ऐसे में हमारा ध्यान गेहूं की बोवनी की और ज्यादा है। निश्चित रूप से क्षेत्र में गेहूं का क्षेत्रफल काफी बड़ा हुआ होगा। चने के प्रति रुझान कम है। इस बार किसानों में चना फसल को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है क्योंकि कई बार यह देखा गया है कि चने की फसल किसानों की कसौटी पर खरी नहीं उतरती है। ऐसे में उनका ध्यान गेहूं के साथ साथ दूसरी नगदी फसलों की ओर बढ़ रहा है। वहीं कई किसान सब्जियों के उत्पादन के प्रति भी जागरूक नजर आ रहे हैं।
मैकेनिक के यहां लगी भीड़
जैसे-जैसे बोवनी का समय नजदीक रहा है किसान सिंचाई के लिए पानी की मोटर, ट्यूबवेल, पाइप आदि की जुगाड़ में लगे हुए हैं। ऐसे में मैकेनिक की दुकानों पर इनको सुधारने का कार्य बड़ी संख्या में किया जा रहा है। वहीं पाइप के अलावा अन्य साधन जुटाते हुए किसानों को आसानी से देखा जा सकता है। इस संबंध में कृषि विस्तार अधिकारी एलसी खपेड़ का कहना है कि इस बार किसानों का चने के प्रति रुझान कम देखा जा रहा है। साथ ही गेहूं की ओर ध्यान ज्यादा बढ़ रहा है। उसके पीछे कारण यह है कि वर्तमान समय में सारे जलाशय पानी से भरे हुए हैं। ऐसे में किसान गेहूं की फसल पर ज्यादा भरोसा जता रहे हैं। इस बार गेहूं की बोवनी लगभग 28 हजार हेक्टेयर का अनुमान है। वहीं चने की फसल को लेकर 1000 हेक्टेयर भूमि में बोवनी का अनुमान है।
इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।
स्रोत: Nai Dunia