बाजार में भिंडी 40 रुपये किलो, लेकिन किसानों को मिल रहा है 1 रुपया

November 25 2020

कोरोना के चलते एक बार फिर से मध्यप्रदेश सहित देश के दूसरे बड़े शहरों में रात को कर्फ्यू लागू होने से किसानों में मायूसी है। मंडियों में भाव कम मिल रहा है। हाल यह है कि एक रुपये किलो के भाव में किसान भिंडी और गिलकी बेचने को मजबूर हैं, लेकिन फिर भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं।

इसके चलते बड़वानी में किसान ने भिंडी के पौधों पर कल्टीवेटर चलाकर जमींदोज कर दिया। बड़वानी जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर ग्राम सजावनी के किसानों ने मजदूर लगाकर भिंडी और गिलकी तुड़वाई थी, लेकिन सप्लाई नहीं होने की वजह से पशुओं को खिलानी पड़ गई। 

किसान विकास सोलंकी ने तो भिंडी के पौधों पर कल्टीवेटर चलाकर फसल ही जमींदोज कर दी। गांव के अन्य किसान विनोद ने बताया कि इंदौर मंडी में चार दिन पहले भिंडी व गिलकी का भाव 16 से 18 रुपये किलो था, लेकिन शुक्रवार को एक से डेढ़ रुपये किलो रह गया।

फसल न बिकने से कर्ज चुकाने में होगी परेशानी

लॉकडाउन में तीन एकड़ में टमाटर और चार एकड़ में लगी भिंडी को उखाड़कर फेंकना पड़ा था। वहीं बैंक का 3 लाख रुपये कर्ज भुगतान करने के लिए फिर से 5 एकड़ में 16 किलो भिंडी का बीज लगाया था। फसल पर डेढ़ लाख खर्च किए लेकिन भाव गिरने और सप्लाई नहीं होने के कारण पौधों को जमींदोज करना पड़ा। इससे बैंक का कर्ज जमा कराने में परेशानी होगी।

रात में मंडी नहीं जा रही गाड़ियां

अंजड़ के सब्जी व्यापारी अमित यादव ने बताया कि इंदौर, भोपाल में रात 10 से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लागू हो गया है। इस सूचना के बाद हम गाड़ियां नहीं भेज पा रहे हैं। जिले से रोजाना 20 पिकअप व 10 बड़े वाहन सब्जियों की सप्लाई होती है। फिलहाल सब रुक गया है।

दिल्ली मंडी में सप्लाई बंद

किसान सोलंकी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से दिल्ली मंडी में भिंडी की सब्जी सप्लाई बंद है। इस कारण भी नुकसान झेलना पड़ रहा है। जबकि यहां से लॉकडाउन के पहले भिंडी के 50 वाहनों की खपत थी। एक वाहन में 500 से 600 पन्नी भिंडी आती है। एक पन्नी का वजन 20 से 25 किलो रहता है। सब्जियां नहीं तोड़ने पर पौधे पीले पड़ने की आशंका हैं।

परंतु केरल में दाम फिक्स हैं

केरल एकमात्र एक ऐसा राज्य है जहां सरकार ने 16 सब्जियों के मूल्य तय कर दिए हैं। 1 नवंबर से राज्य के किसानों को सब्जियों के न्यूनतम मूल्य योजना का लाभ मिल रहा है। यह मूल्य उनकी लागत से 20 फीसदी अधिक है। बाजार मूल्य तय कीमत से नीचे जाता है, तो उपज को सरकार ही आधार मूल्य पर खरीद लेगी।

 

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स्रोत: Amar Ujala