तेज धूप से कैंकर रोग की चपेट में आए सेब के बगीचे

February 01 2021

तेज धूप की वजह से हिमाचल प्रदेश में सेब के बगीचे कैंकर रोग की चपेट में आ गए हैं। शिमला, मंडी, कुल्लू और सिरमौर में बागवानों को यह परेशानी हो रही है। कैंकर रोग में सेब की टहनी से चमड़ी फट रही है। इससे टहनियां भी सूख रही हैं। इन दिनों तेज धूप होने और वातावरण में कम नमी होने के कारण यह दिक्कत हो रही है।

शिमला के बागवान कुलदीप कांत शर्मा ने कहा कि मौसम की बेरुखी से सेब के बगीचों में चिलिंग ऑवर्स पूरे नहीं हो रहे हैं। अब यह नई समस्या खड़ी हो गई है। आजकल सेब के पौधे वैसे ही शीत निद्रा में हैं, इस स्थिति में कैंकर रोग अधिक फैल रहा है।

हवा में जब नमी होती है तो कैंकर नहीं होता

डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में संयुक्त निदेशक विस्तार रहे डॉ. एसपी भारद्वाज ने कहा कि हवा में जब नमी होती है तो कैंकर रोग नहीं होता है। दक्षिण की तरफ जो सेब के पौधे होते हैं, उनका रंग हल्का लाल होना शुरू हो जाता है। पोषक तत्व जमीन से ऊपर या नीचे जा रहे होते हैं। 

सेब पौधों के टिशू फट जाते हैं। पौधा टेढ़ा हो गया हो तो, वहां इसका असर ज्यादा होता है। ऐसी जगह चूना और नीला थोथा वाला लेप लगा लें। प्रूनिंग करते हुए टहनियां ऐसे निकालें कि उस वाली शाखा को थोड़ी छांव हो जाए। कैंकर का जख्म जहां हो, वहां वूली एफिड और अन्य कीट भी कालोनी बना लेते हैं। इससे नुकसान बढ़ जाता है।   

प्रूनिंग ठीक न हो तो उससे भी हो रही यह बीमारी 

अगर प्रूनिंग ठीक न हो तो उससे भी स्मोकी ब्लाइट कैंकर रोग की चपेट में सेब के पौधे आ जाते हैं। जहां से सेब का पौधा काटा जाता है, उस टहनी पर ठीक से पेस्ट लगा लें। अगर मिट्टी भी लगा दें तो भी कैंकर रोग नहीं होता। चूना और नीला थोथा का छिड़काव प्रूनिंग के बाद जरूर करें करें। चूना भी अवरोध कम करता है।

 

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स्रोत: Amar Ujala