हिमाचल के 10 जिलों में बनेंगी कृषि बीजों की डीएनए टेस्ट लैब, किसानों को होंगा फायदा

April 27 2021

हिमाचल के दस जिलों में कृषि बीजों की डीएनए टेस्ट प्रयोगशालाएं स्थापित होंगी। जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़ कर अन्य सभी जिलों में यह सुविधा उपलब्ध होगी। प्रदेश में उत्पादित कृषि बीजों के डीएनए की जांच और गुणवत्ता का पता लगाने में ये प्रयोगशालाएं मदद करेंगी। डीएनए का पता लगाने के बाद बीजों के पेटेंट कराने में ये प्रयोगशालाएं सहायता करेंगे। 

प्रदेश में अभी तक कृषि विभाग के पास फसलों के डीएनए जांचने के लिए कोई प्रयोगशाला उपलब्ध नहीं है। ऐसे में किसानों के लिए उपलब्ध होने वाले बीज के जीन और गुणवत्ता को लेकर दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता। किसान अक्सर बीजों की गुणवत्ता को देखते हुए शिकायतें करते रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार बीजों के डीएनए की  जांच करने के लिए आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित करेगी। बताते हैं कि इन प्रयोगशालाओं की मदद से  किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी। 

लैब जांच से पता चलेगा बीजों का डीएनए  

प्रदेश सरकार की ओर से स्थापित होने वाली डीएनए लैब में किसानों को बीज उपलब्ध कराने से पहले जीन और गुणवत्ता का पता लगाया जा सकेगा। बीज कहीं दूसरी बीज से क्रास तो नहीं किया गया,  इसका पता भी आसानी से लग जाएगा। साथ ही गेहूं, मक्का, धान, जौ आदि के बीजों की जांच हो सकेगी। इन प्रयोगशालाओं में फलों के बीजों का डीएनए भी जांचा जा सकेगा। 

नए बीजों का पेटेंट कराने में मदद मिलेगी

प्रदेश में विकसित होने वाले नए बीचों का पेटेंट कराने में भी लैब मदद करेंगी। इनकी गुणवत्ता पर भी बराबर नजर रखी जा सकेगी। इसके साथ नए बीजों के डीएनए को सुरक्षित रखा जा सकेगा।  

क्या कहते हैं कृषि अधिकारी 

राज्य के कृषि निदेशक नरेश कुमार कहते हैं कि प्रदेश सरकार पहली बार कृषि बीजों (फसलों) के डीएनए जांचने के लिए दस जिलों में डीएनए लैब स्थापित करेगी। जिलों में बीजों की गुणवत्ता देखने के लिए डीएनए पर पैनी नजर रखी जा सकेगी। नए विकसित बीजों को पेटेंट कराने में भी प्रयोगशालाएं अहम भूमिका अदा करेंगी।

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स्रोत: amarujala