परंपरागत खेती से घट रही कमाई से जूझ रहे गोकुलपुरा (भदरौली) के किसान अनार सिंह ने इस बार गेहूं की फसल छोड़कर केसर की खेती की। इससे उन्होंने अपनी तकदीर और खेत की तस्वीर दोनों बदल दी। सिर्फ एक बीघा खेत में 12 किलोग्राम केसर की पैदावार कर उन्होंने करीब तीन लाख रुपये कमाए। जबकि लागत करीब 25 हजार रुपये आई थी।
बाह तहसील के गोकुलपुरा निवासी अनार सिंह खेती के साथ नलकूप की बोरिंग का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि गेहूं व बाजरा की खेती में लगातार घाटा हो रहा था। घुमंतू पशुओं से फसल की रखवाली में दिन-रात एक करने के बाद फसल बच नहीं पा रही थी। नलकूप की बोरिंग करने के दौरान ही उन्होंने जालौन में केसर की खेती देखी।
किसान से इसकी जानकारी ली। फिर, एक बीघा खेत के लिए 10 हजार रुपये में केेसर का आधा किलो बीज खरीदा। हिम्मत कर केसर की खेती कर डाली। खाद, सिंचाई आदि में करीब 15 हजार रुपये लगा। बताया कि 12 सिंचाई करनी पड़ी। इसके बाद एक बीघा खेत में 12 किलोग्राम केसर की उपज हुई है। जो घर से ही करीब तीन लाख रुपये में बिक गई
कांटे होने से घुमंतू पशुओं का भी डर नहीं
किसान अनार सिंह ने बताया कि गेहूं, बाजरा, सरसों की फसलों को घुमंतू पशु बर्बाद कर डालते हैं। दिन-रात रखवाली करनी पड़ती है। केसर में फूल पत्तियों के साथ कांटे होने की वजह से आवारा पशुओं से नुकसान का भी डर भी नहीं रहता।
प्रेरित होकर अन्य किसान खरीद रहे बीज
केसर की फसल से किसान अनार सिंह की किस्मत चमकी तो दूसरे किसान भी केसर की खेती को अपनाने के लिए प्रेरित हुए है। गांव के कई किसान बीज खरीद रहे हैं। साथ ही अनार सिंह से खेती की जानकारी भी लेने आते हैं। किसान अजयपाल सिंह, सुरेंद्र सिंह, राजवीर सिंह, जोधाराम ने बताया कि वे भी केसर की खेती करेंगे। पशुओं से रखवाली का झंझट नहीं रहेगा।
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स्रोत: Amar Ujala