कृषि वैज्ञानिकों ने रोपे उन्नत किस्म के खजूर के पौधे

June 07 2021

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र कोंडागांव के पूर्वी बोरगांव स्थित प्रक्षेत्र में उन्नात किस्म के खजूर का रोपण किया। स्थानीय बोली में खजूर को छिंद कहा जाता है। वरिष्ठ कृषि विज्ञानी व कृषि विज्ञान केंद्र कोंडागांव के प्रमुख डॉ ओमप्रकाश ने बताया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ एसके पाटिल के निर्देशानुसार स्थानीय स्तर पर प्रचलित एवं पर्यावरण अनुकूल फलदार फसलों के महत्व को देखते हुए प्रदेश में पहली बार खजूर की उन्नात किस्मों की संभावनाओं को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तलाशने और किसानों के लिए नवाचार को बढ़ावा देने वाला यह एक कदम है। उन्होंने बताया कि डॉ एसआरके सिंह आंचलिक निदेशक अटारी, जबलपुर एवं डॉ एससी मुखर्जी निदेशक विस्तार इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र कोंडागांव के फार्म में खजूर की तीन किस्म, जो अरब से भारत में आयातित है एवं अलग-अलग महत्व की है को राजस्थान से टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों कर प्रायोगिक रूप से परीक्षण के लिए लगाया गया है। छत्तीसगढ़ में खजूर बहुतयात से होता है लेकिन देशी किस्में होने के कारण उत्पादन कम होता है एवं वाणिज्यिक महत्व का नहीं होने से खजूर को प्रदेश में उद्यानिकी के क्षेत्र में बढ़ावा नहीं मिल सका है। कोंडागांव के कृषि वैज्ञानिकों की इस पहल से खजूर के पौधे पर्यावरण अनुकूल और अच्छे उत्पादन वाले रहते हैं तो यह जिले के ही नहीं प्रदेश के किसानों के लिए भी हितकारी होगा। डॉ बिंदिया पैंकरा कृषि वैज्ञानिक कोंडागांव ने बताया कि वर्तमान में प्रक्षेत्र में खजूर की तीन किस्मों को प्रयोग में लगाया गया है जिसमें खुनैजी, बरही एवं मैडजूल किस्म लगायी गई है। यह तीनों किस्में विशेष महत्व की हैं। खजूर की बरही किस्म के फल मध्यम आकार के परिपक्व अवस्था में सुनहरे पीले रंग के होते हैं। इस किस्म के फल के हरे फल भी प्रायः कसैले नही होते हैं। फल का औसत वजन 13.6 ग्राम, कुल घुलनशील ठोस पदार्थ 31.5 प्रतिशत होता है। यह मध्यम देरी से से पकने वाली किस्म है। इसके परिपक्व फल मीठे एवं स्वादिष्ट होते हैं जो इसकी अन्य किस्मों से अलग पहचान बनाते हैं। इसकी औसत पैदावार 200 किलोग्राम प्रति पौधा तक होती है। खुनैजी खजूर की इस किस्म के परिपक्व फल लाल रंग के तथा मीठे होते हैं। फल का गुदा कुरकुरा तथा स्वादिष्ट होता है। फल का औसत वजन 10.2 ग्राम तथा उनमें कुल घुलनशील ठोस पदार्थ की मात्रा 43 प्रतिशत होती है। फल जल्दी पककर तैयार हो जाते हैं। खजूर की मैडजूल किस्म के फलों का रंग अर्द्ध परिपक्व अवस्था में पीला व नारंगीपन लिए हुए होते हैं लेकिन इस अवस्था में फल कसैले होते हैं। इसके फल आकार में काफी बड़े 20 से 40 ग्राम वजन के व आकर्षक होते हैं। फल का औसत वजन 22 ग्राम, कुल घुलनशील ठोस पदार्थ 34.5 प्रतिशत तथा फल देर से पककर पककर तैयार होते हैं। इस किस्म के फलों में वर्षा से कम नुकसान होता है। डॉ हितेश मिश्रा कृइसके साथ ही पर्यावरण फलदार पौधों उन्होंने कहा है कि पारिस्थितिकी तंत्र बहाल कर हम ऐसा परिवर्तन ला सकते हैं , जिससे समस्त टिकाऊ विकास लक्ष्‌यों की प्राप्ति में मदद मिलेगी । उन्होंने आगे बताया कि जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना होते ही कृषि वैज्ञानिकों ने जिले की अनुकूलता के अनुरूप कार्य व प्राथमिकता देते हुए खजूर की नयी किस्मों को लगाकर नवाचार का यह कदम अन्य बहुत सारे कार्यों में एक है जो कि पारस्थितिकी के अनुकूल कृषि कार्यों को आगे बढ़ने में सहयोगी होगा।

 

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स्रोत: Nai Dunia