शिमला: फूलगोभी के दाम गिरे, मुफ्त बांटने और पशुओं को खिलाने के लिए मजबूर किसान

May 12 2021

सब्जी उत्पादकों पर कोरोना की मार लगातार पड़ रही है। देश के बड़े राज्यों में लगाए गए कर्फ्यू और लॉकडाउन के कारण फूलगोभी की डिमांड घटने से सब्जी उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सोमवार को शिमला की ढली मंडी में फूलगोभी 3 से 6 रुपये प्रति किलो के थोक भाव पर बिकी।

गोभी बेचने आए किसानों ने बताया कि उत्पादन पर प्रति किलो लागत ही करीब 10 से 12 रुपये आ रही है। मंडी में गोभी बेचने पर नुकसान हो रहा है। लोगों को मुफ्त गोभी बांटेंगे, जो बच जाएगी उसे पशुओं को खिलाना पड़ेगा। ठियोग के टियाली निवासी सुदेश कुमार सोमवार को फूलगोभी के 12 बोरे बेचने के लिए ढली मंडी लाए।

उनकी गोभी मंडी में 5 रुपये 50 पैसे प्रति किलो के दाम पर बिकी। सुदेश ने बताया कि एक किलो गोभी के उत्पादन पर लागत करीब 10 से 12 रुपये आ जाती है। अभी खेतों में करीब 150 बोरे गोभी और बची है, मंडी में बेचने पर नुकसान हो रहा है। अब लोगों को बोलेंगे खेतों से मुफ्त गोभी ले जाओ, उसके बाद जो बचेगी वो पशुओं को खिला देंगे। सुदेश ने बताया कि हर साल करीब 800 से 1000 बोरे गोभी का उत्पादन करते हैं। 

पिछले साल 10 से 15 रुपये प्रति किलो दाम मिल गया था, लेकिन इस साल बहुत बुरे हाल हैं। ठियोग के शलाईना गांव निवासी सोहन लाल का कहना है कि गोभी का उत्पादन घाटे का सौदा बनता जा रहा है।  पिछले साल के मुकाबले इस साल बीज और दवाओं की कीमत बढ़ गई है। गोभी की पैकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले खाली बोरे का रेट भी करीब 5 रुपये बढ़ गए है। गाड़ी का भाड़ा भी बढ़ गया है। 

किसान और कारोबारी दोनों को नुकसान

ढली मंडी आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष हरीश ठाकुर का कहना है कि गोभी की कीमतें न बढ़ने से किसानों के साथ कारोबारियों को भी नुकसान हो रहा है। लॉकडाउन और कर्फ्यू के कारण डिमांड में कमी आई है। गोभी की कीमतों में चल रही मंदी को लेकर प्रदेश सरकार को अन्य राज्य सरकारों से बात कर किसानों को राहत देने के लिए कोई व्यवस्था करनी चाहिए। एपीएमसी चेयरमैन के माध्यम से भी हम यह मांग उठाने जा रहे हैं।

 

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स्रोत: Amar Ujala