किसानों को ऑनलाइन पानी की बचत का पाठ पढ़ाएंगे कृषि वैज्ञानिक

May 03 2021

गर्मी में पानी की बढ़ती जरूरत यह एहसास दिलाती है कि भविष्य के लिए जल संरक्षण कितना जरूरी है। यही उद्देश्य रखते हुए कटघोरा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र कोरबा की ओर से जल संरक्षण पर एक सतत अभियान शुरू किया गया है। यहां के कृषि वैज्ञानिक केंद्र से जुड़े किसानों के माध्यम से जल संरक्षण की इस मुहिम को गांव-गांव तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। किसानों को इंटरनेट मीडिया पर आनलाइन पानी की बचत का पाठ पढ़ाते हुए जागरूक करेंगे। उनसे जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को भी जल संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाएगा।

कोरोनाकाल में शारीरिक दूरी व घर से बाहर न निकलने की सावधानी का पालन करते हुए अभियान इंटरनेट मीडिया पर आनलाइन ही चलाया जाएगा। अभियान के तहत कृषि वैज्ञानिक प्रतिदिन किसानों के समूह से आनलाइन चर्चा करेंगे और उन्हें प्रतिदिन के कार्यों में उपयोग के दौरान होने वाली पानी की बर्बादी रोकने जानकारी प्रदान करेंगे। आगामी समय में कोरोनाकाल का प्रभाव कम होने व परिस्थितियां सामान्य होने की दशा में गांव-गांव बैठक कर लोगों को जागरूक किया जा सकेगा। धरती पर जीवन का सबसे जरूरी स्रोत जल है। पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़ा धोने, फसल पैदा करने से लेकर हमें जीवन के सभी कार्यों को निष्पादित करने के लिए जल की आवश्यकता है। बिना इसे प्रदूषित किए भावी पीढ़ी के लिए जल की उचित आपूर्ति के लिए हमें आज से ही पानी को बचाने की जरुरत है। हमें पानी की बर्बादी को रोकना होगा व जल का उपयोग सही ढंग से करें तथा पानी की गुणवत्ता को बनाए रखना होगा। इन सब बातों पर केंद्रित कर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों प्रतिदिन पानी को कैसे बचा सकते हैं, मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।

कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक संजय भेलावे ने कहा कि धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी होता है। बिना जल के जीवन संभव नहीं। पूरे ब्रह्मांड में एक अपवाद के रुप में केवल एक धरती पर जीवन चक्र को जारी रखने में जल मदद करता है। धरती इकलौता अकेला ऐसा ग्रह है, जहां पानी और जीवन मौजूद है। पानी की जरूरत हमारे जीवन भर है, इसलिए इसको बचाने के लिए केवल हम ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने बताया कि अप्रैल के अंतिम सप्ताह से शुरू किया गया जल शक्ति अभियान 30 नवम्बर तक जारी रहेगा, जिसमें कृषकों को जल संरक्षण के बारे में जानकारी देते हुए सतत जागरुक किया जाएगा।

कृषि विज्ञान केंद्र कोरबा के प्रमुख डा आरके महोबिया ने बताया कि पीने के लिए धरती पर सुरक्षित और शुद्ध पानी के स्त्रोतों का प्रतिशत बहुत कम है। इस आंकलन पर फोकस कर जल बचाओ अभियान हम सभी के लिए बहुत जरूरी हो चुका है। औद्योगिक कचरे की वजह से रोजाना पानी के बड़े स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। पीने के पानी या साधारण पानी की कमी के द्वारा होने वाली संभावित समस्या के बारे में आम लोगों को जानने के लिये जागरुकता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए। गांव के स्तर पर लोगों के द्वारा बरसात के पानी को इकट्ठा करने की शुरुआत करनी चाहिये। उचित रख-रखाव के साथ छोटे या बड़े तालाबों को बनाकर बरसात के पानी को बचाया जा सकता है।

कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ सुझाव दिए हैं। इनमें बाड़ी या उद्यान में तभी पानी दें, जब जरुरत हो। पाइप की बजाय फुहारों से पानी देना बेहतर होगा। कम खपत के लिए सूखा अवरोधी पौधे लगाना अच्छा तरीका है। पाइप लाइन व नलों के जोड़ों की जांच करते रहें। वाहन धोने के लिए पाइप की जगह बाल्टी व मग उपयोग करें। फुहार के तेज बहाव के लिए अवरोधक लगाएं जो पानी को बचाएगा। फल-सब्जियों को खुले नल की बजाय पानी के बर्तन पर धोए। धूप चढ़ने के बाद पौधों को पानी न दें। इस समय वह वाष्पीकरण हो जाता है। सुबह-शाम पानी देने से पौधे अच्छे से सोखते हैं।

 

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स्रोत: Nai Dunia