हिमाचल में ट्रैक्टर से खेती करना हुआ महंगा, मजदूरी भी बढ़ी

June 10 2021

डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों का असर किसानों के खेतों पर भी पड़ा है। ट्रैक्टर और पावर टिलर का किराया 100 से 200 रुपये प्रति घंटा बढ़ गया है। वहीं मजदूरों का न मिलना भी किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। जो मिल रहे हैं, उनकी दिहाड़ी भी अधिक है। ऐसे में खेती करना किसानों की जेब पर भारी पड़ रहा है। पैदावार पर लागत बढ़ गई है। वर्तमान में निचले क्षेत्रों में मक्की और कोदरे की बिजाई चली हुई है।

धान की रोपाई भी मानसून की फुहारों के साथ रफ्तार पकड़ने वाली है। वहीं ऊपरी क्षेत्रों में मक्की और कोदरे की बिजाई के लिए थोड़ा समय है। मंडी जिले में अमूमन 300 से 350 रुपये तक खेतों में काम करने के लिए मजदूर मिल जाते थे, लेकिन अब कोरोना के चलते मजदूर बाहरी क्षेत्रों में पलायन कर चुके हैं। ऐसे में जो मजदूर मिल रहे हैं, उनकी 500 रुपये दिहाड़ी पर भी काम करने की शर्त मानना किसान के लिए मजबूरी है।

बल्ह के किसान जोगिंद्र वालिया का कहना है कि यहां अधिकांश लोगों के पास ट्रैक्टर और पावर टिलर अपने हैं। तेल महंगा होने से काम महंगा पड़ रहा है। उन्होंने अपने कुछ खेतों में किराये के ट्रैक्टर से काम करवाया है, जो करीब बीस से तीस फीसदी महंगा पड़ा है। सरकाघाट के किसान मनोज कुमार का कहना है कि छोटे खेतों में वह पावर टिलर इस्तेमाल करते हैं। इस बार पावर टिलर उन्हें सौ रुपये अधिक प्रति घंटा किराये पर मिला है।

मजदूर तो मिल ही नहीं रहे हैं। जो मिल रहे हैं, वे पांच सौ रुपये दिहाड़ी ले रहे हैं। सिरमौर जिले में पिछले साल सिर्फ खेत की जोताई के लिए ट्रैक्टर वाला 300 रुपये प्रति बीघा ले रहा था। अब 400 रुपये ले रहा है। सिंचाई भी 100 से बढ़कर 150 रुपये प्रति घंटा हो गई है। खाद और मजदूरी 100 से 150 अधिक बढ़ गई है। ऊना जिले में ट्रैक्टर चालकों ने रूटाविटर के भाव 150 से 200 रुपये कर दिए हैं। मजदूरों ने भी दिहाड़ी 300 से बढ़ाकर 350 से 400 रुपये कर दी है।

 

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स्रोत: Amar Ujala