रबी फसल की उत्पादकता कैसे बढाएं किसान भाई

November 05 2020

किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक श्री सीएल केवड़ा ने जिले के किसानों को सलाह दी है कि वे रबी फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिये शुद्ध बीज, अनुशंसित बीज दर, बीज बुवाई से पूर्व फसलों का फफूंदनाशी से बीज उपचार, मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुशंसा अनुसार संतुलित एवं अनुशंसित खाद एवं उर्वरक का उपयोग किया जाये।

श्री केवड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि पांच टन गोबर की खाद अथवा 2.5 टन वर्मी कम्पोस्ट का प्रति हेक्टेयर का उपयोग किसान अपने खेतों में करें। गेहूं फसल सिंचित के लिये 120 किलो नत्रजन, 20 किलो फास्फोरस, 40 किलो पोटाश एवं 25 किलो जिंक सल्फेट तथा गेहूं फसल अर्द्धसिंचित के लिये 90 किलो नत्रजन, 60 किलो फास्फोरस, 40 किलो पोटाश एवं 25 किलो जिंक सल्फेट तथा चना/मटर/मसूर फसल के लिये 20 किलो नत्रजन, 60 किलो फास्फोरस, 40 किलो पोटाश, पोषक तत्वों की सिफारिश मात्रा अनुसार प्रति हेक्टेयर निम्न उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है। किसानों को सलाह दी है कि एनपीके 200 किलोग्राम एवं 25 किलो जिंक सल्फेट, डीएपी 125 किलो व 75 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश व 25 किलो जिंक सल्फेट तथा एसएसपी 400 किलो व यूरिया 50 किलो व 50 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश व 25 किलो जिंक सल्फेट का उपरोक्त में से कोई एक का उपयोग बुवाई के समय ही आधार उर्वरक के रूप में उपयोग करें। यूरिया 200 किलो प्रति हेक्टेयर प्रथम एवं द्वितीय सिंचाई के समय उपयोग किया जाये। चना/मटर/मसूर फसल के लिये एनपीके 200 किलो, डीएपी 125 किलो, 75 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश, 25 किलो जिंक सल्फेट, एसएसपी 400 किलो, यूरिया 50 किलो, 50 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश, 50 किलो जिंक सल्फेट उपरोक्त में से कोई एक का उपयोग आधार उर्वरक के रूप में उपयोग करें। उप संचालक श्री केवड़ा ने बताया कि जिले में सेवा सहकारी समितियां एवं निजी विक्रेताओं के पास पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिये अपने क्षेत्र के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय या सम्बन्धित क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं।

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: Krishak Jagat