जम्मू-कश्मीर के सेब बागवानों के लिए खुशखबरी, राज्यपाल ने शुरू की योजना, फसल का मिलेगा उचित दाम

September 14 2019

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को राज्य में सेब बागवानों को उनकी फसल की उचित कीमत दिलाने के लिए मार्किट इंटरवेंशन स्कीम की श्रीनगर से शुरुआत की। इस योजना के तहत बागवानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा और कश्मीर के सेब देश के सभी क्षेत्रों में सही समय पर पहुंच सकेंगे। 

जम्मू-कश्मीर के प्रमुख सचिव रोहित कंसल ने बताया कि राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर में सेब के लिए पहली बार समर्थन मूल्य आधारित खरीद प्रणाली शुरू की है। कंसल ने बताया कि हमने किसानों द्वारा उन्हें दी जाने वाली दरों, साथ ही परिवहन के मुद्दों के बारे में उठाई गई चिंताओं पर ध्यान दिया है, यह योजना सभी चिंताओं को संबोधित करती हैं। 

प्रमुख सचिव, रोहित कंसल ने बताया कि घाटी में कहीं भी आवाजाही में कोई रोकटोक नहीं है। साथ ही लैंडलाइन सेवा घाटी में शुरू हो चुकी है। वहीं अगर मोबाइल सेवाओं की बात की जाए सीमा पार से जबरदस्त उकसावे की कार्रवाई जारी है, इसलिए किसी भी निर्णय को उकसावे में लेना गलत होगा। 

आपको बता दें कि घाटी के सेब की खुशबू और मिठास इस बार भी देश के आम लोगों की पहुंच में होगी। सरकार ने जम्मू-कश्मीर से सेब की सीधी खरीद करने का फैसला किया है। साथ ही सेब उत्पादकों को उनका भुगतान बैंक खाते के जरिये करने की घोषणा की है। राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने के बाद उत्पन्न हालात के बीच राज्य प्रशासन ने कश्मीरी सेब को देशभर की मंडियों में पहुंचाने के पर्याप्त इंतजाम किए हैं। इसके तहत दक्षिणी और उत्तरी कश्मीर में मंडियों में ट्रांसपोर्टेशन तथा अन्य संसाधनों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। 

सेब उत्पादकों के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा की भी तैयारी है। इससे जुड़े कारोबारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में स्थिति में और सुधार आएगा और बिना किसी रोक टोक के कश्मीरी सेब देशभर की मंडियों में पहुंचेगा।

दक्षिणी कश्मीर के सभी जिलों अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां व कुलगाम, उत्तरी कश्मीर में बारामुला व कुपवाड़ा तथा श्रीनगर व बडगाम में सेब की खेती होती है। डिलेशियस, रेड एप्पल व रसभरी प्रजाति के सेब अब लगभग तैयार हो चले हैं। शोपियां के सेब सबसे अच्छी प्रजाति के माने जाते हैं। यहां 15 सितंबर से फसल तोड़ने की तैयारी है। 

घाटी में औसतन 22 लाख टन सेब का सालाना उत्पादन होता है। इससे सात लाख किसान जुड़े हुए हैं। राजभवन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पांच अगस्त को विशेष दर्जे की समाप्ति के बाद उत्पन्न हालात के बीच राज्य सरकार ने इससे जुड़े किसानों को राहत देने के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा करने का फैसला किया है। 

रातों-रात सेब लदे ट्रकों को निकालने की तैयारी

फल उत्पादकों को किसी प्रकार के नुकसान से बचाने के लिए नैफेड से बातचीत की गई है जो कश्मीर में 500 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। वह कुल उत्पादन का 50 फीसदी खरीद करेगा। सभी जिला प्रशासन को हिदायत दी गई है कि वे सेब के लिए मंडियों तथा माल ढुलाई के लिए पर्याप्त साधन की व्यवस्था करें। साथ ही सुरक्षा का मुकम्मल प्रबंध हो ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी न होने पाए। 

मंडियों में सेब से लदे ट्रकों को रातोंरात घाटी से बाहर निकालने की तैयारी है ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी न होने पाए। यह आशंका जताई जा रही है कि दिन के उजाले में फल लदे ट्रकों पर पथराव हो सकता है। इस वजह से रात के अंधेरे में जवाहर टनल के पार सेब लदे ट्रकों को भेज दिया जाए।

वर्ष 2016 में जब हिजबुल आतंकी बुरहान वानी मारा गया था तो उस समय भड़की हिंसा के बाद भी फल से लदे ट्रकों को रात में ही घाटी से बाहर के लिए रवाना किया जाता था। हालांकि, इस बार किसी भी आतंकी संगठन या किसी अनय संगठन की ओर से फल उत्पादकों को किसी प्रकार की धमकी नहीं दी गई है। इसके बाद भी मुकम्मल तैयारी की जा रही है ताकि कारोबार पर कोई असर न पड़े।

 

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स्रोत: अमर उजाला