कोरनेक्स्ट साइलेज में है उन्नति के अवसर

March 15 2021

पशुओं के लिए पौष्टिक चारा भारत के पशुपालक किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। विशेष रूप से दुधारू पशुओं के लिए गर्मियों में हरा चारा जुटाना पशुपालकों के लिए टेड़ी खीर साबित होता है । हरा और पौष्टिक चारा न मिलने से दुग्ध उत्पादन भी प्रभावित होता है।

इस समस्या का हल प्रस्तुत किया है कोरनेक्स्ट एग्री प्रोडक्ट्स ने। कंपनी के डायरेक्टर श्री अमरनाथ सरंगुला बताते हैं कि हरे चारे की मांग एवं उपलब्धता में बहुत अधिक अंतर है। यह अंतर लगभग 40 प्रतिशत है, जिसमे प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुएं कोरनेक्स्ट ने चारे को पोषणयुक्त बना कर लम्बे समय तक सुरक्षित रखने की वैज्ञानिक तकनीक को भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल बना कर प्रस्तुत किया है। इस तकनीक को साइलेज कहते हैं। इस तकनीक से चारे को 18 माह तक सुरक्षित रख सकते हैं। दुधारू पशुओं के लिए मक्के का चारा एनर्जी बढाने वाला और पाचन में आसान होता है।

साइलेज तकनीक

श्री सरंगुला बताते हैं कि साइलेज में हार्वेस्टर और बेलर यंत्रों का उपयोग होता है, जो  विदेशों  में बड़ी जोत होने के कारण  अधिक शक्ति वाले उपयोग किये जाते हैं। इनकी कीमत भी अधिक होती है। भारत में सीमान्त एवं लघु जोत वाले कृषकों की संख्या अधिक होने कारण ये भारत में प्रचलित नहीं हो पाए। कोरनेक्स्ट ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए सिंगल लाइन हार्वेस्टर और छोटे बेलर का निर्माण किया। इन्हें 50 हा.पा. वाले ट्रैक्टर के साथ भी आसानी से उपयोग किया जा सकता है। हार्वेस्टर से चारे की कटाई के बाद बेलर द्वारा पोलिथीन से एयर टाईट बण्डल बनाया जाता है। जिसे लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

ग्रामीण चारा उद्यमिता मॉडल

कोरनेक्स्ट वर्ष 2015 में एक स्टार्टअप के रूप में शुरू हुआ था और पशुओं के पोषण तथा चारा संकट के लिए काम शुरू किया। अब कोरनेक्स्ट ने ग्रामीण युवाओं को चारा उद्यमी बनाने के लिए ग्रामीण चारा उद्यमी मॉडल प्रस्तुत किया है। कंपनी का लक्ष्य है कि इस तरह का एक इको सिस्टम तैयार किया जाये जिससे चारा उत्पादक किसान और पशु पालक किसान, दोनों को लाभ हो, साथ ही ग्रामीण युवाओं को नए रोजगार का अवसर मिल सके। वर्तमान में चारा उत्पादक और पशु पालक के मध्य कई बार अत्यधिक दूरी होती है, जिसके कारण परिवहन लागत अधिक आती है और पशु पालक को चारा मंहंगा मिलता है। इस मॉडल से चारा उत्पादक उद्यमियो की संख्या बढेगी तथा पशु पालक अपने नजदीकी चारा उत्पादक से चारा मंगवा सकेंगे। इस मॉडल के तहत लगभग 20 लाख रुपये की लागत आती है। कंपनी तकनिकी सहयोग और प्रशिक्षण भी देगी। कंपनी तैयार चारे के 3 साल तक स्वयं खरीदी की गारंटी भी दे रही है ताकि नए चारा उद्यमी को मार्केटिंग की समस्या से न जूझना पड़े। ग्रामीण चारा उद्यमिता मॉडल को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कोरनेक्स्ट इ कॉमर्स प्लेटफार्म का भी उपयोग कर रही है।

 

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स्रोत: Krishak Jagat